ऋषियों ने बताए प्रदोष व्रत के नियम और सरल पुजा विधि

प्रदोष व्रत के नियम :- प्रदोष व्रत प्रदोष काल में पड़ने वाली त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है और इस अवसर पर Bhagwan Shiv की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन Bhagwan Shiv की पूजा करने के लिए सबसे पहले शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए और पूजा के लिए शुद्ध और स्वच्छ परिसर तैयार करना चाहिए।

Pradosh Vrat Ke Niyam

दूसरे, Bhagwan Shiv की पूजा बिल्वपत्र, धतूरा और बड़गंध से करनी चाहिए। तीसरा, इस व्रत के दौरान उपवास करना चाहिए और आध्यात्मिक गतिविधियों में लगे रहना चाहिए। इसके अलावा अनुष्ठान के समय Bhagwan Shiv का ध्यान और मंत्र का जाप करना चाहिए ताकि साधक को Bhagwan Shiv का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। इस प्रकार नियमित रूप से Pradosh Vrat करने से भक्त को शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह आध्यात्मिक प्रगति की ओर बढ़ता है।

प्रदोष व्रत पर इन चीजों का सेवन ना करें 

Pradosh Vrat के दौरान ध्यान रखें कि नमक का सेवन न करें और इस दिन तामसिक भोजन से भी दूर रहें। Pradosh Vrat के दिन व्रती को प्याज, लहसुन, मांस, दाल, उड़द, तंबाकू और शराब जैसे तामसिक भोजन से बचना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों के सेवन से व्रत का फल नहीं मिलता, इसलिए ध्यान दें और व्रत के नियमों का पालन करें ताकि आपकी साधना सार्थक हो सके।

प्रदोष व्रत के नियम | Pradosh Vrat Ke Niyam

Pradosh Vrat Bhagwan Shiv को शीघ्र प्रसन्न करने का व्रत है, लेकिन इसके कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। सूतजी के अनुसार Pradosh Vrat की सबसे आसान पूजा विधि संगीत और आरती के साथ Bhagwan Shiv की पूजा करना है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • Pradosh Vrat के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
  • उठने के बाद स्नान करें और ध्यान करते हुए Bhagwan Shiv का स्मरण करें।
  • संकल्प लें और पूरे दिन व्रत रखें.
  • अगर संभव हो तो इस दिन निर्जला व्रत रखें।
  • प्रदोष काल में पूजा करने के लिए सूर्यास्त से पहले दोबारा स्नान करें और सफेद वस्त्र पहनें।
  • शाम को महादेव की पूजा करने के बाद फल से व्रत खोलें।
  • अगले दिन चतुर्दशी तिथि पर Bhagwan Shiv की पूजा करके व्रत खोलें।

प्रदोष व्रत की विधि | Pradosh Vrat Ki Vidhi

प्रदोष काल में Bhagwan Shiv की पूजा का विशेष महत्व है। इस समय Bhagwan Shiv की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है और त्रयोदशी तिथि का व्रत भी प्रदोष काल के अनुसार ही निर्धारित किया जाता है। इसलिए शाम के समय शिव मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है और प्रदोष मंत्र का जाप किया जाता है। ऋषियों ने सूतजी को पूजा की यह आसान विधि बताई थी, जिसमें भक्त Bhagwan Shiv की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है।

  • Pradosh Vrat करते समय त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
  • स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए।
  • Bhagwan Shiv की पूजा के लिए बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप और गंगाजल का प्रयोग करें।
  • इस व्रत में अन्न का त्याग करना होता है।
  • पूरे दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान करें और सफेद कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल को स्वच्छ जल या गंगाजल से शुद्ध कर लें।
  • गाय का गोबर लेकर एक मंडप तैयार करें और उसे रंगोली से सजाएं।
  • पूजा की सभी तैयारियों के बाद कुशा के आसन पर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • Bhagwan Shiv के मंत्र “ओम नमः शिवाय” का जाप करें और उन्हें जल अर्पित करें।

प्रदोष व्रत उद्यापन विधि | Pradosh Vrat Udyapan Vidhi

Pradosh Vrat का उद्यापन त्रयोदशी तिथि को ही करना चाहिए। पिछले दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे कार्यों में सफलता मिलती है। उद्यापन से पहले की रात को कीर्तन करके जागरण किया जाता है, जिससे भगवान की कृपा और कृपा प्राप्त होती है। इस विशेष व्रत के उद्यापन में भक्तों की भावनाओं का सम्मान किया जाता है और शिव की पूजा की जाती है, जो उन्हें शक्ति और साहस प्रदान करते हैं।

Pradosh Vrat का उद्यापन त्रयोदशी तिथि को ही करना चाहिए। उद्यापन से एक दिन पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। उद्यापन से पहले की रात को कीर्तन करके जागरण किया जाता है। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर एक मंडप बनाएं और उसे वस्त्रों और रंगोली से सजाएं। माता पार्वती और Bhagwan Shiv के मंत्र का 108 बार जाप करें। हवन करें और भोग लगाने के लिए खीर का प्रयोग करें। हवन समाप्त होने के बाद भगवान शिव की आरती और शांति पाठ करें। अंत में दो ब्राह्मणों को भोजन कराएं और यथाशक्ति दक्षिणा दें। सभी में प्रसाद बांटें और सभी को आशीर्वाद दें।

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