औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं

औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं:- भारत एक पारंपरिक और धार्मिक संस्कृति वाला देश है, जहां हर क्षेत्र, हर स्थान की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं और यहां लोग अलग-अलग परंपराओं और आचार्यों के अनुसार अपनी पूजा-अर्चना और साधना करते हैं। इस कहानी के एक हिस्से में बताया गया है कि क्या महिलाएं Shivling को छू सकती हैं या नहीं. यह एक विवादास्पद और व्यक्तिगत विषय है जिस पर विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि, धार्मिक संप्रदायों और आस्थाओं के विचार हो सकते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इसे छूना चाहिए और कुछ इसे अशुभ मानते हैं।

Aurat Ko Shivling Chuna Chahie Ya Nahi

इस पारंपरिक विचारधारा में बहुत से लोग आपस में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से सोच सकते हैं। इसलिए, इस विषय पर चर्चा और जानकारी महत्वपूर्ण है ताकि हर कोई समझ सके कि इसमें कौन से सिद्धांत शामिल हो सकते हैं और यह उनके धार्मिक दृष्टिकोण से कैसे फिट बैठता है। इसमें सच्चाई और समझ का बल बनाए रखना बहुत जरूरी है।

औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं | Aurat Ko Shivling Chuna Chahie Ya Nahi

सबसे पहले तो हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कुंवारी लड़कियों को Shivling छूने की मनाही है और उन्हें दूर से ही प्रणाम करने की सलाह दी जाती है। यह नियम शादीशुदा महिलाओं पर भी लागू होता है। हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार, महिलाओं का शिवलिंग को छूना शुभ नहीं माना जाता है और इससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो जाती है, जिससे माता पार्वती और शिव दोनों नाराज हो जाते हैं। इसी आधार पर यह सलाह दी जाती है कि केवल पुरुषों को ही Shivling को छूने और उसकी पूजा करने की अनुमति है।

इस प्रमाण को जानने के लिए हमें इस परंपरा के मूल कारण की खोज में जाने की आवश्यकता है ताकि हम सिद्धांतों को समझ सकें और अपनी आत्मा की शांति में इसे आत्मसात कर सकें। इसका सही ज्ञान प्राप्त करके ही हम अपने धार्मिक आचरण में सत्यता एवं समर्पण बनाये रख सकते हैं।

क्या कुंवारी लड़कियों को शिवलिंग छूना चाहिए 

हिंदू धर्म और शास्त्रों के मुताबिक कुंवारी लड़कियों को Shivling नहीं छूना चाहिए। इस प्रथा के अंतर्गत कुंवारी लड़कियों का शिवलिंग के पास जाना भी उचित नहीं माना जाता है। यहां ऐसी मान्यता है कि इस तरह का स्पर्श उनके जीवन के लिए अशुभ हो सकता है और इसका परिणाम शुभ की जगह अशुभ हो सकता है। इसलिए, हिंदू धर्म में, Shivling को छूना एक पारंपरिक अनुष्ठान के रूप में स्वीकार किया जाता है जो अधिक समर्पित और धर्मनिष्ठ लोगों के लिए आरक्षित है, केवल ऋषियों या बुद्धिमान ब्राह्मणों को ही ऐसा करने की अनुमति है।

शिवलिंग की उत्पत्ति | Shivling Ki Utpati

महापुराण के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच एक अतुलनीयता को लेकर बहस हुई, तो उन्होंने एक लिंग की स्थापना की, जो अग्नि की ज्वालाओं से घिरा हुआ था। इस रहस्यमयी लिंग को देखकर दोनों देवता इसके स्वरूप को समझ नहीं पाये। दोनों देवता एक हजार साल तक इस रहस्य की खोज करते रहे, लेकिन इसका स्रोत नहीं ढूंढ सके। निराश होकर वह फिर उसी स्थान पर लौट आया, जहां उसने पहली बार लिंग देखा था।

वहां पहुंचते ही उन्हें ओम की ध्वनि सुनाई दी, जिससे उन्हें एहसास हुआ कि यह कोई शक्ति है. इसके बाद ब्रह्माजी और भगवान विष्णु उस ॐ की ध्वनि से आराधना करने लगे। उनके प्रेम से संतुष्ट होकर भगवान शिव उस लिंग से प्रकट हुए और चतुर्य की सहायता की और देवताओं की सहायता से वहां से चले गये और Shivling वहीं स्थापित हो गया। इस प्रकार यह Shivling भगवान शिव का प्रथम विग्रह स्वरूप माना गया। इस घटना से भगवान शिव की पूजा की परंपरा की शुरुआत हुई।

शिवलिंग को छूने का महत्व | Shivling Ko Chune Ka Mahtv

शिवलिंग को छूने का विषय एक विवादास्पद मुद्दा है जो सिद्धांत और विश्वास के बीच है। Shivling भगवान शिव का प्रतीक है तथा इसे पवित्र एवं पूजनीय माना जाता है। इसलिए बहुत से लोगों का मानना है कि सिर्फ पुरुष ही Shivling को छू सकते हैं, महिलाएं नहीं। इस विवाद में समृद्धि प्राप्त करने और आध्यात्मिक जुड़ाव का महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है, जिसके बारे में धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के आलोक में अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। आप इसकी व्याख्या कैसे करते हैं यह आपकी व्यक्तिगत मान्यताओं और मुद्दे पर धार्मिक दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा।

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