शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल पीना चाहिए या नहीं

शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल पीना चाहिए या नहीं:- हिंदू धर्म में Shivling पूजा एक विशेष और महत्वपूर्ण पूजा पद्धति है। यह पूजा सावन के महीने में अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसमें भक्तों के लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाना बेहद प्रासंगिक होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान शिव अपने भक्तों पर पूर्ण कृपा करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

Shivling Par Chada Huwa Jal Pina Chahiye Ya Nehi

सावन में Shivling पूजा करने से भक्तों को अपने आध्यात्मिक संबंध में गहराई तक पहुंचने का एक शानदार अवसर मिलता है। इस पवित्र माह में शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल भी शुभ माना जाता है और इससे भक्तों को आनंद, शांति और समृद्धि की अनुभूति होती है। यह अनूठी पूजा पद्धति भक्तों के लिए आत्मा के साथ दिव्य संबंध स्थापित करने का एक सुंदर तरीका है। इस रूप में सावन माह में Shivling पूजा एक अद्वितीय एवं आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है।

शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल पीना चाहिए या नहीं | Shivling Par Chada Huwa Jal Pina Chahiye Ya Nehi

शिवपुराण में Shivling पूजा के संबंध में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं और इसमें Shivling पर चढ़ाए जाने वाले जल की विशेषता भी बताई गई है। Shiv Puran के विद्येश्वर संहिता के 22वें अध्याय के 18 श्लोक इस तथ्य की पुष्टि करते हैं, जिसमें Shivling पर चढ़ाए गए जल पीने के महत्व का उल्लेख किया गया है। श्लोकों में बताया गया है कि Shivling पर चढ़ाए गए जल को छोटे हाथों में भरकर पीना शुभ होता है।

पूजा की इस अनोखी विधि से व्यक्ति को बीमारियों से मुक्ति मिलती है और नकारात्मकता से भी छुटकारा मिलता है। Shivling पर चढ़ाया गया जल पीने से व्यक्ति का मन शांत होता है और तनाव से भी मुक्ति मिलती है। इस आध्यात्मिक अनुभवजन्य प्रक्रिया के माध्यम से, भक्तों को शांति, खुशी और समृद्धि प्राप्त होती है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व | Shivling Par Jal Chadane Ka mahtv

शिवपुराण में Shivling पूजा की विधि की विविधता बताते हुए कहा गया है कि Shivling पर जल चढ़ाने की विशेष विधि बहुत महत्वपूर्ण है। इस अनुष्ठान में भक्त प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इसके अलावा शिवपुराण में दूध, घी और अन्य वस्तुओं का प्रसाद चढ़ाने का भी जिक्र है। यहां बताया गया है कि अलग-अलग चीजों का अभिषेक करने से व्यक्ति को अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से शिव की कृपा पाने का सबसे आसान रास्ता खुल जाता है, जिससे भक्त भगवान की कृपा से समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकता है।

शिवलिंग चढ़ा जल पीने के नियम | Shivling Chada Jal Pine Ke Naiym

Shivling पर चढ़ाया गया जल पीने के नियम का विशेष महत्व है। यह क्रिया साधना एवं भक्ति का प्रतीक है जिसका धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है। सबसे पहले व्यक्ति को भक्ति भाव से Shivling पर चढ़ना चाहिए और मानसिक स्थिति को संतुलित रखना चाहिए। Shivling पर जल चढ़ाते समय यह स्मरण किया जाता है कि यह अद्वितीयता एवं एकता का प्रतीक है। जल को निम्न विधि के अनुसार शुद्ध करके चढ़ाना चाहिए और उसे शिवलिंग के अग्रभाग से पीना चाहिए। इस प्रक्रिया में समर्पण और विनम्रता की भावना होती है, जिससे भक्त को आत्मा के साथ मिलन का अनुभव होता है। इस अनूठे समर्पण में व्यक्ति को जीवन को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का अनूठा अवसर मिलता है।

  • शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल पीते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह किसी के पैरों में न लगे।
  • Shivling पर जल चढ़ाने के बाद उसके सामने वाले भाग से जल भरें और पी लें।
  • ध्यान रखें कि Shivling पर चढ़ाए गए जल को पीते समय शिवलिंग को छूने से बचना चाहिए।

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