शिव पंचाक्षर स्तोत्र:- भगवान शिवजी को पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नम शिवाय’ बहुत ही प्रिय है। इसी मंत्र से भगवान शिव प्रसन्न होकर वरदान देकर खुशियों की बरसात अपने भक्तो पर करते है। आइए आज हम आपको पंचाक्षर मंत्र के शिव पंचाक्षर स्तोत्र के बारे में अवगत कराएंगे। पंचाक्षर स्तोत्र में पांच श्लोक है इन पाँचों श्लोकों में क्रमशः न, म, शि, वा और य है अर्थात् नम: शिवाय। यह पूरा स्तोत्र शिवस्वरूप है। Shiv Panchaakshar Stotra की आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचना की गई है।
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शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ
हमारे जीवन में काल सर्प दोष से ग्रसित है, जीवन में सुख समृद्धि नहीं है तो शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ हमेशा नियमित रूप से करने पर जीवन में खुशियों की बहार आती है। इस स्तोत्र में केवल 5 श्लोक है जिनका पाठ बहुत ही कम समय में होता है एवं पाठ करना काफी सरल होता है।
आपको इस Shiv Panchaakshar Stotra का पाठ करने का निवदेन करेंगे जिससे आपके जीवन में सुख, समृद्धि एवम खुशियों के साथ – साथ मनोकामना भी पूरी हो सके।
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
॥ इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का अर्थ
जब तक हमे किसी के बारे में ज्ञान नही हो यानी जिसका मतलब पता नही होता तब तक उस कार्य को करने में न तो आनंद आता है न ही वो कार्य मन से होता है जिससे उस कार्य का परिणाम अच्छा नही आता है। हम आपको स्तोत्र तलीनता से कर सको इसके लिए शिव पंचाक्षर स्तोत्र का अर्थ बता रहे है।
Shiv panchaakshar stotrà ka Aarth से आप आनंद की अनुभूति के साथ पाठ करेंगे तो आप अपनी मनोकामना शीघ्रता से पूर्ण करेंगे। तो हम इस स्तोत्र का अर्थ सहित अवलोकन कराते है।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै “न” काराय नमः शिवाय॥
हे महेश्वर! आप नागराज को हार स्वरूप धारण करने वाले हैं। हे तीन नेत्रों वाले, आप भस्म से अलंकार करने वाले, अनादि, अनंत एवं शुद्ध हैं। आकाश का वस्त्र समान धारण करने वाले दिगम्बर शिव, आपके ‘न’ अक्षर द्वारा जाने वाले स्वरूप को नमस्कार है।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै “म” काराय नमः शिवाय॥
चन्दन से अलंकृत, एवं गंगा की धारा द्वारा शोभायमान, नन्दीश्वर एवं प्रमथनाथ के स्वामी महेश्वर आप सदा मन्दार एवं बहुदा पुष्पों द्वारा पूजित हैं। हे शिव, आपके ‘म’ अक्षर द्वारा जाने वाले रूप को नमन है।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै “शि” काराय नमः शिवाय॥
हे धर्मध्वजधारी, नीलकण्ठ, आपने ही दक्ष के दम्भ यज्ञ का विनाश किया था। माँ गौरी के मुखकमल को सूर्य समान तेज प्रदान करने वाले शिव, आपके ‘शि’ अक्षर से ज्ञात रूप को नमस्कार है।
वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै “व” काराय नमः शिवाय॥
समस्त देवगण एवं वसिष्ठ , अगस्त्य, गौतम आदि मुनियों द्वारा पूजित देवाधिदेव! सूर्य, चन्द्रमा एवं अग्नि आपके तीन नेत्र समान हैं। हे शिव !! आपके ‘व’ अक्षर द्वारा विदित स्वरूप को नमस्कार है।
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै “य” काराय नमः शिवाय॥
हे यक्ष स्वरूप, जटाधारी शिव आप आदि, मध्य एवं अंत रहित सनातन हैं। हे दिव्य चिदाकाश रूपी अम्बर धारी शिव !! आपके ‘य’ अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को नमस्कार है।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
जो कोई भगवान शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का नित्य उनके समक्ष पाठ करता है वह शिव के पुण्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुखपूर्वक निवास करता है।
॥ इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व और लाभ
शिव पंचाक्षर स्तोत्र की रचना परम शिव भक्त आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई है। आप शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व और लाभ जानने को आतुर होंगे। अब हम आपकी इस जिज्ञासा को पूरी कर रहे है। ब्रह्माण्ड के पांच तत्व से पंचाक्षर मंत्र एवम पंचाक्षर मंत्र पर आधारित शिव पंचाक्षर स्तोत्र रचित हुआ है। जिसका वर्णन हम कर रहे है।
न – मिट्टी यानी पृथ्वी तत्व।
म – पानी यानी जल तत्व ।
शि – अग्नि तत्व ।
वा – हवा यानी वायु तत्व ।
य – नभ यानी आकाश तत्व।
उक्त पांच तत्वों से ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ है। इसी आधार पर शिव पंचाक्षर स्तोत्र की रचना हुई है जो कि अपने आप में अनादि अनंत है। भगवान शिव के इस पंचाक्षर स्तोत्र के जाप से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो कर सभी मनोकामना पूरी होती है। इसके जाप से सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है।
सभी प्रकार के कष्ट और समस्या का निवारण शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करके दूर होते है। जिसका रुद्राक्ष माला के साथ जाप करने पर भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न होते है और मनोवांछित वरदान देते है। यह पाठ करने और सुनने से श्रावको को आत्मिक शांति, उन्नति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करते समय कपूर और इत्र का उपयोग अवश्य करना चाहिए।
Shiv panchaakshra storta ke laabh निम्न प्रकार है –
- बहुत से लोगो की कुंडली में कालसर्प दोष होने से वे परेशान रहते है। उनको इस दोष से मानसिक तनाव रहता है, मेहनत करने पर भी फल की प्राप्ति नहीं होती है, तो उस व्यक्ति को रोजाना शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
- जो कोई भगवान शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का नित्य उनके समक्ष पाठ करता है, वह शिव के पुण्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुखपूर्वक निवास करता है।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नित्य पाठ करने से मन में अच्छे विचार आते है अर्थात नकारात्मक विचार नहीं आते है।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नियमित उच्चारण आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करता है। यह स्तोत्र आपको आध्यात्मिकता, आत्मज्ञान और सत्य की ओर प्रेरित करता है।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण हो सकता है। यह शरीर और मन को शुद्ध करता है और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आत्मा की मोक्ष प्राप्ति के लिए दिशा प्रदान करता है।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नित्य पाठ करने से धन धान्य और कीर्ति में बढ़ोतरी होती है।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ नियमित करने से घर में सुख शांति और आनंद की वृद्धि होती है।
- जो व्यक्ति शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करता है वह सभी प्रकार की सिद्धिया प्राप्त कर सकता है।
- महाशिवरात्रि पर इसका पाठ करना बेहद ही शुभ फलदायी और मंगलकारी माना गया है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र
शिवजी को सबसे प्रिय और पूजा में सर्व मान्य, सर्व श्रेष्ठ शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र की महिमा ही अलग है। हर सनातनी, धार्मिक प्रवृति वाले नर – नारी ‘ॐ नमन शिवाय’ मंत्र का जाप समय बे समय उनके मुख या मस्तिष्क में आता ही रहता है। शिव मंदिर या स्थान के पास होने पर अपने हृदय में इस मंत्र का जाप स्वतः होने लगता है। हृदय में ‘ॐ नमः शिवाय’ का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभ कार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। यह पंचाक्षर मंत्र ॐ के प्रारंभ में सुशोभित होने से षडाक्षर होकर शिव भगवान को शीघ्र प्रसन्न कर देता है।
Shiv Panchaakshar Stotra Mantra प्रभावी होने से लोगो का कल्याण करने वाला है। इस मंत्र जाप से पंच तत्व पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश प्रसन्न होते है। Iक्योंकि इन पांच तत्वों पर भगवान शिव का ही नियंत्रण होता है। इस मंत्र में वेदों का सार होने से मोक्ष प्रदान करता है, एवम बहुत ही Powerfull है। इस स्तोत्र मंत्र में पंचाक्षर (न,म,शि,व,य) की शक्ति का वर्णन किया गया है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र फायदे
हम मानव जाति कोई भी काम करेंगे तो सबसे पहले उसमे अपना फायदा क्या होगा यही देखते है, फिर चाहे भगवान की पूजा, पाठ या आराधना ही क्यू नही हो। भगवान शिव को प्रिय शिव पंचाक्षर स्तोत्र के फायदे बता रहे है जिसका जाप कर भगवान शिव के शरण में रहकर अपना जीवन सफल कर सकते है। Shiv Panchakshar का पवित्र पाठ जो भी शिवजी के सम्मुख करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है, और शिवजी के साथ आनंद मिलता है।
- इस पाठ को श्रद्धा पूर्वक करने से शिव के भोलेपन का प्यार, गंभीरता एवम गुस्से रूप में संकटों से रक्षा करते है।
- इस पाठ को करने से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
- इस पाठ को करने से स्वयं एवम परिवार को अकाल मृत्यु जैसे दुखो का पहाड़ से रोक लगती है।
- इस पाठ को करने से स्वयं महादेव के परिवार की तरह सुख शांति प्राप्त होती है।
- महादेव के परिवार में जैसे सभी के वाहन एक दूसरे के विरोधी होते हुए भी प्रेम से रहते है वैसे ही भक्त के हृदय में एक दूसरे के साथ प्रेम बना रहता है।
मानव जीवन में यदि उपरोक्त फायदे मिल जावे उसके बाद मनुष्य को क्या चाहिए। अतः Shiv Panchaakshar Stotra ke fayde बहुत है।