हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए:- भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक तत्व भगवान शिव की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस पूजा में Shivling की विशेष प्रासंगिकता होती है, जिसकी विधिवत पूजा करना बहुत जरूरी है। Shivling पर स्नान करने के बाद इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उसे अपने हाथों या किसी कपड़े से न छुएं, क्योंकि इससे भगवान की पवित्रता खराब हो सकती है। 

भक्तों को पूजा के दौरान अपना मन भगवान पर केंद्रित करना चाहिए और आत्मा से शारीरिक रूप से ध्यान में रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ पूजा ठीक से होगी बल्कि भगवान भी अपने भक्तों से प्रसन्न होंगे और उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी. अत: हमें मन, वाणी और कर्म से भगवान शिव की पूजा को अद्वितीय बनाने के लिए समर्पित रहना चाहिए।

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए | Shivling Par kya Nehi Chadana Chahiye

Shivling के अभिषेक का सकारात्मक पारंपरिक महत्व है और इस प्रक्रिया में, भक्त अपने वांछित वरदान प्राप्त करने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद मांगते हैं। शिव पुराण के अनुसार, Shivling की पूजा करते समय विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इस पूजा के दौरान जिन चीज़ों को चढ़ाना वर्जित है, उन्हें विशेष रूप से वर्जित किया गया है क्योंकि वे भगवान को नाराज़ कर सकते हैं। इसलिए, Shivling पर सोच-समझकर और श्रद्धापूर्वक चढ़ाना चाहिए ताकि पूजा सही और समृद्धिपूर्वक हो सके। इस प्रथा का सम्मान करके ही हम अपनी पूजा ईश्वर को समर्पित कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद के पात्र बन सकते हैं।

  • तुलसी :- भगवान नारायण की पूजा में तुलसी का महत्व बहुत अधिक है, लेकिन भूलकर भी तुलसी को Shivling पर नहीं चढ़ाना चाहिए। इस परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें तुलसी के पति राक्षस जलंधर को भगवान शिव ने मारकर तुलसी को लक्ष्मी स्वरूपा बनाया था। इस कारण से, Shivling पर तुलसी का प्रयोग करना उचित नहीं माना जाता है। यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि हम धार्मिक परंपराओं का सम्मान करते हुए अपनी पूजा सही तरीके से करें ताकि हम अपनी भक्ति के प्रति ईमानदार रहें।
  • फूल :- ब्रह्मा जी के कहने पर केतकी के फूल ने अज्ञानतावश भगवान शंकर से झूठ बोला था, जिससे भगवान शंकर बहुत क्रोधित हुए। इस घटना के बाद, भगवान शिव ने केतकी को श्राप दिया कि उनका उपयोग कभी भी उनकी पूजा में नहीं किया जाएगा। यह प्रसंग भक्ति में सत्यता और नम्रता के महत्व को समझाता है और शिव भक्तों को पवित्र बने रहने का संदेश देता है।
  • नारियल का पानी :- भगवान शिव को नारियल अर्पित किया जाता है, लेकिन नारियल के पानी से Shivling का अभिषेक करने से भगवान शिव अप्रसन्न होते हैं और धन हानि होती है। इसलिए भक्तों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि Shivling के अभिषेक में नारियल का उपयोग नहीं करना चाहिए ताकि उनकी पूजा सही और प्रिय बनी रहे।
  • काला तिल :- Shivling का जलाभिषेक करते समय या दूध से अभिषेक करते समय कभी भी उसमें तिल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि काले तिल भगवान विष्णु के संयोग से उत्पन्न हुए हैं, इसलिए इसे Shivling पर नहीं चढ़ाना चाहिए। इस गलती से बचने के लिए पूजा सावधानी से करनी चाहिए ताकि भगवान की कृपा बनी रहे और पूजा सही ढंग से हो सके।
  • सिन्दूर और हल्दी:- Shivling पर हल्दी और सिन्दूर चढ़ाना वर्जित है, क्योंकि ये दोनों ही सौन्दर्य को प्रकट करते हैं और भगवान शंकर सदैव अपने शरीर पर भस्म का श्रृंगार करते हैं, जो उन्हें सबसे प्रिय है। भगवान शंकर सौंदर्य की वस्तुओं को स्वीकार नहीं करते हैं, इसलिए Shivling पर सिन्दूर और हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए। वे केवल मेकअप के सामान में परफ्यूम का उपयोग करने के लिए उपयुक्त हैं। माता पार्वती की पूजा में हल्दी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे Shivling पर नहीं लगाना चाहिए। ऐसे में भक्तों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूजा में सही विधि का पालन करके ही हम अपनी भक्ति के प्रति समर्पित रह सकते हैं।
  • शिवलिंग पर सिन्दूर चढ़ाना:- भगवान शिव को कभी भी श्रृंगार सामग्री नहीं चढ़ानी चाहिए, खासतौर पर सिन्दूर और कुमकुम तो बिल्कुल भी नहीं। विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए सिन्दूर लगाती हैं, जबकि भगवान शिव की पूजा संहारक के रूप में भी की जाती है। इसलिए भगवान शिव को सिन्दूर नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि माता पार्वती को सिन्दूर अर्पित किया जाता है। यह कॉस्मेटिक अभ्यास भक्ति में विविधता को दर्शाता है और भक्तों को उनकी पूजा में सही अनुष्ठानों का पालन करने के लिए याद रखने के लिए प्रेरित करता है।

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