भगवान शिव के 12 नाम कौनसे है तथा उनका अर्थ क्या है

भगवान शिव के 12 नाम:- भगवान शिव के नाम सहस्रनाम, 108 नाम,12 नाम जपने मात्र से शिव प्रसन्न होकर अपनी पूर्ण कृपा करते है। शिवजी जो जहर पीते है, सृष्टि का संरक्षण करते है। अपने परिवार में सांप है तो मोर और चूहा भी है। शेर है तो नंदी भी है। ऐसे परिवार में संप्रभुता रखने वाले भक्तो को भी ऐसी भावनाओं के लिए प्रेरित करते है।

Bhagwan Shiv Ke 12 Naam

हम आपको भगवान शिव के 12 नाम (Bhagwan Shiv Ke 12 Naam) का महत्व बता रहे है, जिसका जाप कर अपना जीवन खुशियों से भर देते है। भगवान शिव के द्वादश नामों के जाप वर्ष में कभी भी करे तो भी परिणाम Posetive आते है लेकिन भगवान शिव के पवित्र और प्रिय श्रावण मास में जाप करने का अपना अलग ही सुखद परिणाम आते है,  पापो से मुक्ति मिलती है। 

भगवान शिव के 12 नाम

अब हम भगवान शिव के 12 नाम यानी द्वादश नामावली प्रस्तुत करा रहे है –

नाम जप करने का सही समय 

भगवान शिव ही ऐसे महादेव है जिनकी पूजा सूर्योदय से पहले, बाद में, दोपहर, संध्या कालीन या रात्री में हो, स्थान कोई भी हो जाप, पूजा, अभिषेक, मंत्र साधना करे तो भी भगवान शिव आशिर्वाद देने में कंजूसी नहीं करते है। फिर भी आपको नाम जप करने का सही समय बताना आवश्यक समझते है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है की सूर्योदय के समय इस मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभ माना गया है। इससे भक्तो को सुख, सौभाग्य, यश और कीर्ति की प्राप्ति है। जानकार यानी तंत्र – मंत्र करने वालों के अनुसार विशेष फल की प्राप्ति के लिए यह मंत्र दोपहर के समय करना चाहिए।

द्वादश नामावली जाप संध्याकालीन पंचोपचार पूजा आदि के बाद जाप करना चाहिए। रात्रि में ये नामों एवम अर्थ का गहन मनन करते हुए सोना चाहिए। इससे शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है। शांति कर्म के लिए संध्याकाल से पूर्व मंत्र जाप कारण उचित है। शिवरात्रि को रात्रि में 12 नाम के पाठ करने से शिव भक्तो पर हमेशा प्रसन्न रहते है।

शिव नाम जप करने की विधि 

सनातन धर्म में शादी – विवाह, जन्म से लेकर मृत्यु कर्म तक, Business प्रारंभ हो, मकान निर्माण या अन्य किसी भी कार्य में मंत्रो से भगवान को Invite कर कार्य सिद्धि कराई जाती है। इसी क्रम में शिव नाम जप करने की विधि से अवगत कराना जरूरी है जिससे इस जप को सफलता से संपादित कर सके। मंत्र जानकारी नहीं होने से हमारे द्वारा गलतियां होना स्वाभाविक है जो हमे पूर्ण फल प्राप्त होने से वंचित करते है। पुराणों और शास्त्रों में शिव नाम जप करने से भगवान शिव के समीप पहुंचने का रास्ता मिलता है। पुराणों एवम शास्त्रों के जप तीन प्रकार से किए जाते है –

वाचिक जप – जब सस्वर मंत्र का उच्चारण किया जाता है तो वह वाचिक जाप की श्रेणी में आता है।

उपांसु जप – जब जुबान और ओष्ठ से इस प्रकार मंत्र उच्चारण किया जाए कि जिसमें केवल ओष्ठ कंपित होते हुए प्रतीत हो और मंत्र का उच्चारण केवल स्वयं को ही सुनाई दे तो ऐसा जाप उपांशु जप की श्रेणी में आता है।

मानसिक जप – नाम के अनुसार ही यह जाप अंतर्मन से किया जाता है। इस तरह जाप करने के लिए सुखासन या पद्मासन में ध्यान मुद्रा लगाई जाती है।

  • भगवान शिव नाम जप करने में निम्न नियमो का ध्यान रखा जाना अनिवार्य है –
  • मंत्र जाप से पहले शुद्धि आवश्यक है इसलिए दैनिक क्रिया से निवृत्त होने और स्नानादि करने के पश्चात ही जाप करना चाहिए।
  • जाप के स्थान को भी भलिभांति साफ कर लेना चाहिए और एक स्वच्छ आसन पर बैठकर ही जाप करना चाहिए।
  • जाप के बाद आसन को इधर-उधर नहीं छोड़ना चाहिए और न ही पैर से हटाना चाहिए। आसन को एक जगह संभाल कर रख देना चाहिए।
  • मंत्र जाप के लिए कुश का आसन उत्तम माना जाता है, क्योंकि कुश ऊष्मा का सुचालक है,जिससे मंत्र जाप करते समय ऊर्जा हमारे शरीर में समाहित होती है।
  • भगवान शिव के लिए रुद्राक्ष माला श्रेष्ठ मानी गई है।
  • मंत्र जाप करने के लिए एक शांत स्थान को चुनना चाहिए ताकि जाप में किसी प्रकार की कोई बाधा न पड़े और ध्यान न भटके।
  • जाप करने के लिए प्रातः काल का समय सबसे उत्तम रहता है, क्योंकि इस समय वातावरण शांत, शुद्ध और सकारात्मक रहता है।
  • यदि हमेशा जाप करते हैं तो प्रतिदिन निश्चित स्थान और समय पर ही मंत्र जाप करना चाहिए।
  • मंत्र जाप करते समय माला को खुला न रखें। माला सदैव गौमुखी के अंदर ढक कर ही रखनी चाहिए।
  • जाप की माला खरीदते समय भलिभांति देख लें कि उसमें 108 मनके होने चाहिए और हर मनके के बीच में एक गांठ लगी होनी चाहिए। ताकि जाप करते समय संख्या में कोई त्रुटि न हो।
  •     भगवान शिव की छवि को मन में रखकर जाप करना चाहिए और हमेशा कम से कम एक माला का जाप पूर्ण अवश्य करना चाहिए।

भगवान शिव के 12 नाम और उनके अर्थ

भगवान शिव के अनेक स्वरूपों के अनुसार भगवान के नाम से प्रसिद्ध है। जिस रूप में जो लीलें की या जिस स्वरूप में उसका नाम दर्शाया गया है। भगवान शिव को भोलेनाथ, शंकर, महेश, भीलपति, भीलेश्वर, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नमो से स्मरण किया जाता है। वेदों में वैदिक रूप से प्रचलित रुद्र नाम से भी जाना जाता है। विभिन्न भगवान शिव के 12 नाम और उनके अर्थ से आपको परिचित है –

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