महाकाल की आरती: ॐ जय शिव जय महाकाल हिंदी लिरिक्स

महाकाल की आरती:- देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख भगवान महाकाल की भस्म आरती की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। भगवान Mahakal Ki Aarti की शुरुआत सुबह 4 बजे इसी आरती से होती है। इसके साथ ही महाकाल के पट खोले जाते हैं। रात में होने वाली शयन आरती के बाद पट बंद हो जाते हैं। इस बीच महाकाल की चार और आरती होती है।

Mahakal Ki Aarti

महाकाल की आरती का समय 

  •  महाकाल मंदिर में सुबह 4:00 बजे भस्म आरती की जाती है।  भस्म आरती देश ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्ध है. महाकाल को ताजी भस्म से स्नान कराकर आरती की जाती है
  • दूसरी आरती का समय सुबह 7:00 बजे का रहता है. इस समय बाबा का अद्भुत श्रृंगार कर आरती की जाती है.इसे दत्योदक आरती कहा जाता हैं। 
  • तीसरी आरती सुबह 10 बजे की जाती  है।  इस आरती में महाकाल का श्रृंगार कर भोग लगाया जाता है। इसे भोग आरती कहते हैं। 
  • चौथी आरती को पूजन आरती कहा जाता है. यह शाम को 5 बजे की जाती है। जिसमें महाकाल का विशेष श्रंगार करके आरती की जाती है। 
  • पांचवीं आरती को संध्या आरती कहा जाता हैं। आरती का समय शाम 7:00 बजे का होता है। 
  • प्रतिदिन होने वाली आरती में से यह अंतिम आरती होती है। यह प्रतिदिन रात 10:30 बजे की जाती है। महाकाल का श्रृंगार करके यह आरती की जाती है। 

महाकाल आरती के लाभ 

  1. महाकाल बाबा की आरती का पाठ करने से व्यक्ति अकाल मृत्यु से बचता है, जिससे दुर्घटना या अनपेक्षित घटनाएं नहीं होतीं।
  2. आरती के माध्यम से व्यक्ति पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता है और भय दूर होता है।
  3. महाकाल की आरती से ग्रह दोष और कुंडली के दोष भी दूर होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।
  4. आरती के पाठ से व्यक्ति को परम सत्य का ज्ञान होता है, जिससे उसका जीवन उद्दीप्त होता है।
  5. महाकाल की आरती से मृत्यु का भय दूर होता है और व्यक्ति अपने जीवन को शांतिपूर्ण रूप से जी सकता है।

उज्जैन महाकाल आरती हिंदी में (Ujjain Mahakal Aarti In Hindi)

ये भी पढ़े :-

शिव पुराण के अनुसार धन प्राप्ति के उपाय

शिव महिम्न स्तोत्र अर्थ सहित

Leave a Comment