महाकाल का इतिहास : 500 साल तक जलसमाधि में रहे

आपको इस बात की जिज्ञासा अवश्य होती होगी कि महाकाल मंदिर कहां है। तो हम आपकी इस जिज्ञासा का जवाब देते है कि Mahakal का मंदिर भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के Ujjain नगर में है। उज्जैन शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। उज्जैन देश के उन चार पवित्र शहरों में से एक है जिसमे 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है। उज्जैन के अलावा इलाहाबाद, हरिद्वार एवम नासिक में कुंभ मेला आयोजित होता है। इस लेख में Mahakal Ka Itihaas के बारे में पूर्ण जानकारी दी गई है I

   उज्जैन नगर को धार्मिक ग्रंथों में प्राचीन नाम अवंतिका से भी उल्लेखित किया गया है। यह 5000 वर्ष प्राचीन एवम ऐतिहासिक शहर है। आदि ब्रह्म पुराण में इसे सर्व श्रेष्ठ नगर बताया गया है तो अग्नि पुराण एवम गरुड़ पुराण में इसे मोक्ष दाता तथा भक्ति, मुक्ति दाता नगर बताया गया है।

Mahakal Ka Itihaas
Mahakal Ka Itihaas

महाकाल का इतिहास मंदिर के चमत्कार 

महाकाल  जो भूत प्रेतो का स्वामी है जिसका अपने आप चमत्कार नजर आता है। कालो के काल एवम भूत प्रेत के राजा के रूप में जब स्मरण करते है तो चमत्कार होना तो स्वाभाविक है। आज आपको महाकाल का चमत्कार से अवगत कराते है। महाकाल उज्जैन नगरी का राजा है, ऐसे में इनके अलावा दूसरे किसी राजा या शासक को उज्जैन में रात्रि विश्राम के लिए रुकने का अधिकार नहीं है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार राजा विक्रमादित्य के बाद जो राजा या शासक रात्रि में रुका तो वह या तो वह मारा गया या उस पद को खोना पड़ा है। 

     अब आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा की वर्तमान मध्य प्रदेश का राजा यानी Chief Minister वहा रुकता है तो वो वही के निवासी होकर इसी महाकाल राजा के सामने बड़े हुए है। कोई भीअपने पिता का स्थान तब तक बड़ा नही हो सकता जब तक उसके पिता जीवित है। महाकाल तो पिता का भी पिता और राजा का भी राजा है। 

     स्वयं मुख्यमंत्री ने आम सभा में कहा की “मैं राजा नहीं हूं मैं तो बाबा महाकाल का बेटा हूं और बाबा महाकाल के मुख्य सेवक के रूप में ही काम कर रहा हूं। उज्जैन में मेरी उपस्थिति सीएम के रूप में नहीं बल्कि बाबा महाकाल के सेवक के रूप में है।उन्होंने आमसभा के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया था कि मैं बाबा महाकाल का सेवक बनकर यही रात्रि विश्राम करूंगा ।”

     भगवान महाकाल के दरबार में एक चांदी का दरवाजा ऐसा है जिसमे महाकाल से प्रार्थना एवम Permission लेकर ही प्रवेश किया जा सकता है। इसमें केवल पंडित एवम पुजारी ही प्रवेश कर सकते है। इस दरवाजे का चमत्कार रहस्यमय है।

उज्जैन Mahakal Ka Itihaas 

उज्जैन महाकाल मंदिर का इतिहास के बारे में पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अनेक मत है। महाकाल मंदिर का निर्माण द्वापर युग में 800 से 1000 वर्ष प्राचीन माना जाता है। एक मत यह भी है कि उज्जैन में करीब 150 वर्ष पूर्व रानोजी सिंधिया के मुनीम रामचंद्र बाबा शेण बी ने निर्मित करवाया था।

    भगवान महाकाल उज्जैन में स्थित है। महाकाल का इतिहास के बारे में पौराणिक मत अनुसार उज्जैन में एक दूषण नाम का राक्षक बहुत परेशान करता था तो भगवान शिव को काल बन कर आना पड़ा और इस राक्षक का संहार किया। तब उज्जैनवासियों ने शिव ( महाकाल ) से प्रार्थना की कि आप यही निवास करे, तो महाकाल शिवलिंग स्वरूप में विराजमान हुए तब से इनका नाम महाकाल हुआ।

भगवान महाकाल की पौराणिक कथा

उज्जैन में स्थित भगवान महाकाल की पौराणिक कथा में वर्णन अनुसार भगवान शिव धरती को फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए तथा हुंकार मात्र से दूषण नामक राक्षस को भस्म किया। भक्तो के विनती से महाकाल शिवलिंग रूप मे स्थापित हुए। महाकाल 12 ज्योतिर्लिंग में से तीसरा ज्योतिर्लिंग है। हम सब जानते है कि पृथ्वी गोलाकार है एवम इसका केंद्र बिंदु उज्जैन ही है। खगोल आधार पर धरती एवम आकाश के मध्य उज्जैन नगर स्थित है। पौराणिक अनुसार उज्जैन नगर को नाभी स्थल माना गया है और महाकालेश्वर को इसका देवता माना गया है।

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