महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य : व्यक्ति रात क्यों में नही रुक

महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य:- हिन्दू ग्रंथो में महाकालेश्वर मंदिर एक अद्वितीय स्थान है जो शिव भगवान की आराधना में विशेष महत्व रखता है। महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है और शिव रात्रि के दिनों में मंदिर में लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं। इस महाकालेश्वर मंदिर के चारों और महोत्सव और आराधना का एक रहस्य है, जिसने इसे भारतीय धार्मिक स्थान प्रदान किया है। इस लेख में, हम महाकालेश्वर मंदिर का रहस्यमय (Mahakaleshwar Mandir Ka Rahasyamay) अंशों के बारें में बताएगें I

Mahakaleshwar Mandir Ka Rahasyamay

महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य

महाकाल स्वयं अपने आप में रहस्य है। भगवान महाकाल मंदिर का रहस्य अनेक है उसमे से आपको कुछ जानकारी देने का प्रयास कर रहे है।

  1. महाकालेश्वर धाम यानी उज्जैन नगरी में कोई रात में राजा या बड़ा सरकार का मुखिया रात्रि में रूक नहीं सकता है। कुछ वर्षो पहले ही  ऐसा कई बार हुआ है जब कोई Prime Minister या Chief Minister ने उज्जैन नगरी में रात्रि विश्राम किया तब उनका वो पद हट गया। क्योंकि वहां एक राजा ही विश्राम करता है वो है महाकाल।
  2. महाकालेश्वर मंदिर के सामने कभी भी घोड़े पर सवार होकर नही निकल सकता है।
  3. महाकालेश्वर मंदिर परिसर के ऊपर तीसरे खंड में नागचंद्रेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो वर्षभर में केवल एक बार श्रावण मास की नागपंचमी के दिन ही खुलता है। इस मंदिर में शिव पर्वतीजी की नाग पर बैठे तथा नाग फन फैलाए छत्र की तरह मन मोहक प्रतिमा विराजित है। माना जाता है कि स्वयं नागराज तक्षक विराजमान है। यह एक ही मंदिर है जहां विष्णु भगवान की तरह शिव पार्वती दश मुख सर्प शैय्या पर विराजमान है।
  4. सनातन धर्म में धार्मिक स्थल के आस पास भी शराब की दुकान खोलने की Permission नहीं होती है। लेकिन महाकालेश्वर मंदिर परिसर में काल भैरव जो शराब का सेवन करते है, वो शराब कहा जाती है यह रहस्य बना हुआ है।
  5. महाकाल में भस्म आरती होती है। ऐसा माना जाता है कि यहा चिता की ताजा राख से पूजा की जाती है क्योंकि ये कालो के काल है। जहा तक जानकारी मिलती है वो सत्य नही मानी गई है। हां, शिव पुराण के अनुसार कपिला नस्ल की गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बैर के पेड़ की लकड़ियां, अमलताश और बरगद की जड़ को जलाकर जो राख बनाई जाती है उस राख (भस्म) से भगवान महाकाल की भस्म आरती हमेशा प्रातः की जाती है।
  6. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में महाकाल ही सर्वश्रेष्ठ स्वयंभू शिवलिंग है। धरती पर महाकालेश्वर, आकाश में तारकीय शिवलिंग और पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग प्रसिद्ध है।

महाकाल मंदिर कहां है

    अब आपको यह बताना आवश्यक समझते है कि महाकाल मंदिर कहां हैMahakal मंदिर भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के Ujjain नगर में है। उज्जैन शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। उज्जैन देश के उन चार पवित्र शहरों में से एक है जिसमे 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है। उज्जैन के अलावा इलाहाबाद, हरिद्वार एवम नासिक में कुंभ मेला आयोजित होता है।

   उज्जैन नगर को धार्मिक ग्रंथों में प्राचीन नाम अवंतिका से भी उल्लेखित किया गया है। यह 5000 वर्ष प्राचीन एवम ऐतिहासिक शहर है। आदि ब्रह्म पुराण में इसे सर्व श्रेष्ठ नगर बताया गया है तो अग्नि पुराण एवम गरुड़ पुराण में इसे मोक्ष दाता तथा भक्ति, मुक्ति दाता नगर बताया गया है।

महाकाल क्यों प्रसिद्ध है?

   भगवान शिव दुष्टों के लिए रौद्र तथा भक्तो के लिए पृथ्वी पर लीला करने आते है। आप यह जिज्ञासा जरूर रखते होंगे कि महाकाल क्यों प्रसिद्ध है ? तो आप सुनिए भगवान शिव को भक्तो की रक्षा के लिए दूषण जैसे राक्षस का संहार करने के लिए रौद्र रूप में उज्जैन में आना पड़ा। दूषण संहार के बाद भक्तो द्वारा विनंती करने पर भगवान शिव को लिंग रूप में स्थापित होना पड़ा। तब से महाकाल स्वरूप में भक्तो के पालनहार, रक्षक तथा दुष्टों के लिए काल स्वरूप में विराजित है।

महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य

   महाकालेश्वर मंदिर उस भूमि पर स्थापित है जहा मोक्ष, भक्ति एवम मुक्ति प्राप्त होती है। महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य होना तो स्वाभाविक है। अतः रहस्य के बारे में बताएंगे। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में महाकाल ही सर्वश्रेष्ठ स्वयंभू शिवलिंग है। धरती पर महाकालेश्वर, आकाश में तारकीय शिवलिंग और पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग प्रसिद्ध है।

    महाकालेश्वर मंदिर के सामने कभी भी घोड़े पर सवार होकर नही निकल सकता है। महाकालेश्वर मंदिर परिसर के ऊपर तीसरे खंड में नागचंद्रेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो वर्षभर में केवल एक बार श्रावण मास की नागपंचमी के दिन ही खुलता है। इस मंदिर में शिव पर्वतीजी की नाग पर बैठे तथा नाग फन फैलाए छत्र की तरह मन मोहक प्रतिमा विराजित है। माना जाता है कि स्वयं नागराज तक्षक विराजमान है। यह एक ही मंदिर है जहां विष्णु भगवान की तरह शिव पार्वती दश मुख सर्प शैय्या पर विराजमान है।

      महाकालेश्वर धाम यानी उज्जैन नगरी में कोई रात में राजा या बड़ा सरकार का मुखिया रात्रि में रूक नहीं सकता है। कुछ वर्षो पहले ही  ऐसा कई बार हुआ है जब कोई Prime Minister या Chief Minister ने उज्जैन नगरी में रात्रि विश्राम किया तब उनका वो पद हट गया। क्योंकि वहां एक राजा ही विश्राम करता है वो है महाकाल।

      महाकाल में भस्म आरती होती है। ऐसा माना जाता है कि यहा चिता की ताजा राख से पूजा की जाती है क्योंकि ये कालो के काल है। जहा तक जानकारी मिलती है वो सत्य नही मानी गई है। हां, शिव पुराण के अनुसार कपिला नस्ल की गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बैर के पेड़ की लकड़ियां, अमलताश और बरगद की जड़ को जलाकर जो राख बनाई जाती है उस राख (भस्म) से भगवान महाकाल की भस्म आरती हमेशा प्रातः की जाती है।

सनातन धर्म में धार्मिक स्थल के आस पास भी शराब की दुकान खोलने की Permission नहीं होती है। लेकिन महाकालेश्वर मंदिर परिसर में काल भैरव जो शराब का सेवन करते है, वो शराब कहा जाती है यह रहस्य बना हुआ है।

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