जानिए शिव पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलयुग को कैसा बताया गया है

शिव पुराण की भविष्यवाणी:- भगवान शिव के विभिन्न स्वरूप, समस्त ज्योतिर्लिंग और शिव की महिमा का विस्तृत विवेचना की गई है। सनातन धर्म के अनुसार 18 महापुराण है जिसमे शिव पुराण भी है। इस पुराण में चौबीस हजार श्लोक है। इस पुराण में शिवजी की भक्ति संबंधित कथा, शिव लीला, पूजा विधि, शिवलिंग पूजा का रहस्य, कलयुग की भविष्यवाणी, मृत्यु के संकेत आदि का समावेश है। शिव पुराण की भविष्यवाणी भगवान शिव द्वारा रचित है। जिसमे ब्रह्माण्ड समाप्ति तक की भविष्यवाणी है। ब्रह्माण्ड के शुरुआत के समय भगवान शिव ने 100 करोड़ श्लोक संग्रह से समस्त पुराणों की रचना की। जिसका वर्णन पुराणों में किया गया था।

 Shiv Puran Ki Bhavishyavani

जीवन में सारे दुखो को destroy करने के उपदेश है। Shiv Puran का पाठ भक्तो को भय मुक्त करते है। Shiv Puran Ki Bhavishyavani बड़ी ही सटीक है जिनका विवरण हम आपसे Share कर रहे हैं – शिव पुराण की भविष्यवाणी अनुसार जब पूरी तरह से कलयुग छाएगा उस समय लोगो के दिल दिमाग से धर्म, कर्म, पुण्य आदि से दूरी बनेगी और वो कुकर्म, कुकृत्य, दुराचार, पाप, अनाचार, धोखे, कपट जैसे आदि कार्यों के दलदल में डूबेगा। Shiv Puran में वर्णित भविष्यवाणी अनुसार जिस कर्म को किसी ने सोचा तक नहीं होगा वो कार्य होंगे जैसे माता पिता को बोझ बताने, भाईयो को थोड़े से लालच और असंतोषी होकर कुटिल बनना।

शिव पुराण की भविष्यवाणी

शिव पुराण में भगवान शिव द्वारा की गई लीलाओं का वर्णन है। इसमें भगवान शिव को प्रसन्न करना, अनेक समस्याओं का समाधान, इनके परिवार की व्यवस्था आदि वृतांत बहुत ही विस्तृत में दिया गया है । हम इनके अलावा जानकारी आप तक पहुंचा रहे है वो है शिव पुराण की रहस्य । शिव पुराण में शिवजी के त्याग, दया, सहज ही प्रसन्न होने वाले देव के अनेक वृतांत चित्रित किए गए है। हमारी अधूरी जानकारी से हम उनका अलग अलग अर्थ या महत्व जानते है उन सभी का रहस्य शिव पुराण में वर्णित है।

भगवान शिव से संबंधित अनेक रहस्यों की जानकारी शिव पुराण को पढ़ने या श्रवण करने से मिलती है। शिव पुराण में शिवलिंग की पूजा का रहस्य बताया गया है। बिना रहस्य की जानकारी पूजा अर्थहीन हो जाती है। हम आपको Shiv Puran ki Rahasya के बारे में बताना चाहेंगे –

  • भगवान शिव को आदि अनादि तो सब जानते है। भगवान शिव के माता पिता के रहस्य के बारे में आप जानना चाहेंगे। शिव महापुराण में आए वृतांत अनुसार भगवान शिव की माता अष्टांगी देवी और पिता का नाम काल ब्रह्मा है।
  • भगवान शिव की उदारता और ब्रह्माण्ड को तहस नहस से बचाने का रहस्य शिव पुराण में वर्णित है। पूरे ब्रह्मांड में राक्षसों का आतंक बढ़ गया था। भगवान ब्रह्मा और विष्णु कैलाश धाम पर शिव के पास सलाह के लिए गए। उस Time भगवान शिव तपस्या में लीन थे। माता पार्वती ने बताया कि अभी भगवान शिव की तपस्या भंग करने का मतलब था महाविनाश। माता पार्वती के पूछने पर ब्रह्मा और विष्णु ने राक्षस के आतंक के बारे में बताया, तो माता पार्वती गुस्से में आकर माता काली का स्वरूप धर कर राक्षसों का संहार करने लगी। 
  • माता काली का गुस्सा रूप चारो तरफ विनाशक हो रहा था। सभी देवी देवताओं को चिंता होने लगी कि अब तो महाविनाश ही होगा। आखिर शिव की तपस्या भंग करने के अलावा कोई रास्ता नही दिखा तो भगवान शिव की तपस्या भंग करने की Risk लेनी पड़ी। भगवान शिव ने जब यह बात सुनी तो वो स्वयं परेशान हो गए। शांत होकर भगवान शिव ने उपाय सोच ही लिया। 
  • माता पार्वती पूरे काले Colour मे हाथ में खंजर, एक हाथ में रक्त का खप्पर, मुंह रक्त से सना हुआ, गुस्से से तमतमाया चेहरा, मुंह से आग के शोले निकलते हुआ स्वरूप ने भगवान शिव को अचंभित कर दिया किंतु शीघ्र ही भगवान शिव माता काली का गुस्सा शांत करने के लिए उनके रास्ते में लेट गया। गुस्से में जब माता काली का चरण भोलेनाथ के सीने पर पड़ा तो उन्हे मालूम हुआ कि नीचे भगवान शिव हैं, तो उनकी जीभ बाहर आ गई और गुस्सा शांत हो गया। इस तरह का रहस्य Shiv Puran ka Rahasya हैं।
  • भगवान शिव अपने सभी चाहने वाले भक्तो की परीक्षा लेने से नही चूकते है, जिसका Rahasya शिव पुराण में है। जब माता पार्वती शिव की अर्धांगिनी बनने के लिए तपस्या कर रही थी, तब भगवान शिव परीक्षा लेने माता पार्वती के पास साधु Dress में पहुंच गए। उन्होंने समझाया कि  शिव औघड़ बाबा है, रहने – खाने – पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। सांप के हार पहनते है। ऐसे में आप राजकुमारी वहा कैसे Adjust होगी। इसलिए शिव से विवाह करना समझदारी नहीं होगी। इस सलाह पर माता पार्वती भयंकर गुस्से हो गई। भगवान शिव को भी सती के गुस्से से डरकर असली रूप में आना पड़ा और विवाह का प्रस्ताव मंजूर किया।
  • आप और हम सभी जानते है कि भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर भस्म लगाते है, लेकिन ये भस्म क्यों लगाते है। इस रहस्य से परदा उठाते है शिव पुराण का एक अध्याय। प्रनद नाम का एक साधु ने भगवान शिव की कड़ी तपस्या कर बड़ा ताकतवर बन गया। वह केवल फल और पत्तियां ही खाता था। एक बार उसकी अंगुली के Cut लग गया तो उसके उस Cut से रक्त की जगह फल पत्तियों का रस निकलने लगा। इस बात से उसको घमंड हो गया कि वह सबसे पवित्र बन गया है तो वह तपस्या के अभिमान से जंगल के सारे फल पत्तियों, जीव – जंतुओं पर नियंत्रण करने लगा। इस बात के कारण भगवान शिव Old Sadhu बन उस साधु से खुश होने का Reason पूछा। उस साधु ने उसी घमंड में स्वयं को पवित्र बताया। तब शिव ने बताया की पेड़ पौधे भी जलकर राख ही बनते है। तभी शिव ने अपनी अंगुली के Cut लगाकर उसमे से राख निकाल कर बताई। तब उस साधु को अपने घमंड का एहसास होकर भगवान शिव को पहचान भी लिया। भगवान शिव ने बताया कि शरीर की सुंदरता भी एक दिन राख बन जाता है इस तरह साधु का घमंड चूर हो गया। तब से भगवान शिव अपने शरीर पर हमेशा भस्म लगाते है।
  • शिव पुराण में संदर्भित एक रहस्य बता रहे है जिसकी जानकारी बहुत ही कम लोग को है। जो सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु के हाथ में है वो भगवान शिव द्वारा ही प्रदान किया गया था। एक बार भगवान विष्णु शिव की आराधना सहस्रनाम पाठ कर रहे थे। इस पाठ में हर नाम पर एक कमल का पुष्प अर्पित कर रहे थे। भगवान शिव ने परीक्षा लेने के लिए एक कमल पुष्प छिपा दिया। जब भगवान विष्णु को 1000वा नाम का कमाल पुष्प नही पाया तो उन्होंने अपना एक नयन (आंख) भगवान शिव को पुष्प की जगह अर्पित कर दिया। तब से भगवान विष्णु को कमलनयन नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु की अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने Sudarshan Chakra भेट किया।
  • Shiv Puran में अमरनाथ गुफा का रहस्य का वर्णन है। माता पार्वती जी ने भगवान शिव को जब अमरता के रहस्य के बारे में जानना चाहा तो शिव उन्हे अमरनाथ गुफा में ले गए और वहा अमरता का रहस्य बताया गया। अमरनाथ जाते समय भगवान शिव ने कई लीलाएं की वहा तीर्थ स्थल बने है। अमरनाथ गुफा तो मुख्य तीर्थ है ही।

शिव पुराण के अनुसार कलयुग 

आप और हम अभी कलयुग में विचरण कर रहे है। इस बात से हम सभी भली भांति परिचित है कि वास्तव में कलयुग में घटित हो रहा है वो अनहोने है। shiv Puran ke Anusar Kalyug का विस्तार से पूर्व में ही बता दिया गया है। शिव पुराण अनुसार कलयुग में मोक्ष प्राप्ति और भक्तो की सारी उचित मनोकामना पूर्ण करने के उपाय भी बताया गया है। मिट्टी के शिवलिंग को उत्तम बताते हुए 12 अंगुल से अधिक ऊंचाई नही होने चाहिए। भगवान शिव ही ऐसे देव है जिनकी पूजा साकार एवम निराकार स्वरूप में होती है। शिव पुराण के अनुसार कलयुग का वर्णन विद्येश्वर संहिता के प्रथम अध्याय में ऋषि मुनियों द्वारा किया गया है।

  • इसमें कलयुग के स्त्री – पुरुष एवम लोगो की अन्य और अपने ही लोगो के साथ व्यवहार कैसा होगा। इस बारे में आपको विस्तार से बताने का प्रयास कर रहे है –
  • कलयुग की यौवन अवस्था में सभी लोग जिसमे भक्ति करने वाले भी धर्म, कर्म और पुण्य कार्य से विमुख होने लगेंगे। सत्यता को छोड़कर झूठ का माहौल सभी तरफ हो जायेगा। एक दूसरे की बुराई एवम निंदा मुख्य कर्म होगा।
  • कलयुग के दौर में सभी लोग मौका देखकर हर किसी का धन तथा संपति हड़पने का प्रयास करेंगे। घर की पत्नी से ज्यादा दूसरी औरत पर प्रेम बढ़ाएंगे। प्राणियों की हिंसा बेधड़क करेंगे। कुल मिलाकर आत्मा की नही सुनकर अपने शरीर के स्वार्थ की बात ही सुनेगे।
  • माता पिता, भाई बहिन या जो अपने कहलाते है वो ही सबसे पहले धोखा, दुर्व्यवहार, कुकर्म, अनुचित कर्म करने में कोई संकोच नहीं करेंगे।
  • ब्राह्मण लालच में देवी देवताओं के नाम पर Blackmail करेंगे। पूजा पाठ केवल धनोपार्जन हेतु करेंगे। ब्राह्मण अपने कर्मो से दूर होते जायेंगे। संस्कार से भ्रष्ट होने लगेंगे।
  • क्षत्रियों में वीरता समाप्त होने लगेगी । प्राण जाय पर वचन न जाए वाला सिद्धांत उलट हो जायेगा। धनोपार्जन के लिए unargal कार्य करेंगे। 
  • वैश्य अपने धर्म के विरुद्ध कर्म करेंगे। धन कमाने के लिए कपटता का कार्य करेंगे। जो विश्वास पहले लोग करते थे वो समाप्त हो जायेगा।
  • शिव पुराण में हुए वर्णन अनुसार जो धर्म कर्म से दूर रहते थे वो पूजा पाठ, धर्म कर्म और ब्राह्मण कर्म शुरू कर देंगे। ये अपने पूर्व में किए जाने वाले कार्यों को छोड़कर ऊंचे ऊंचे कार्यों को करेंगे। साफ सफाई पसंद करेंगे। इनके विचार धर्म के विपरित होते जायेंगे। ब्राह्मणों की निंदा करेंगे। विद्वान बनने लगेंगे तो वाद विवाद करने वाले बनेंगे। धनवान बनने से अनुचित कार्यों में अपव्यय करेंगे। अपने आप को कुलीन घोषित करते हुए सभी वर्णों में विवाह या अन्य संबंध स्थापित करेंगे।
  • कलयुग का Shiv Puran में महिलाओं के बारे में विस्मय वाले उल्लेख किए गए है। महिलाए अपने सदाचार से भ्रष्ट होकर अपने पति का अपमान करने वाली हो जायेगी। अपने माता पिता को अच्छा मानते हुए पति, सास श्वसुर से हमेशा बिगाड़ कर रखेगी। बाहर का और मलिन भोजन करेंगी जिससे उनका शील स्वभाव नष्ट होने लगेगा।
  • शिव पुराण अनुसार जब  कलयुग आयेगा उस समय लोग धर्म, कर्म, पुण्य आदि से दूरी बनायेंगे और वो कुकर्म, कुकृत्य, दुराचार, पाप, अनाचार, धोखे, कपट जैसे आदि कार्यों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे।
  • Shiv Puran अनुसार अपने पराए सभी के साथ बदनीयत से पेश आयेंगे। माता पिता, भाईयो बहिनों के साथ धोखा, कपट, लालच के कारण कुछ भी करने को तैयार रहेंगे।
  • कलयुग में तारणहार केवल और केवल शिव पुराण का कहना या श्रवण करना होगा।

शिव पुराण के अनुसार मृत्यु के संकेत

शिव पुराण में रहस्य, भविष्यवाणी, चमत्कार आदि के अलावा मृत्यु के संकेत के बारे में भी विस्तार से समझाया गया है। मृत्यु अपने आप में बड़ा Rahasya का विषय है। Shiv Puran ke Anusar Mrtyu ke Sanket का विस्तार से बताया गया है। सभी को उत्सुकता होती है कि मृत्यु के बाद क्या होता है कहा जाते है कर्मो के अनुसार उनका हिसाब कोन रखता है । इन सबके बारे में जितने लोग उतनी बाते वाली जानकारी है, लेकिन यह सारी बाते सच्चाई एवम वास्तविकता से बहुत दूर है। इस वास्तविकता को सभी जानना चाहते है।

आज के आधुनिक, वैज्ञानिक युग में मृत्यु के संकेतो के बारे में कोई सोचने, समझने की आवश्यकता महसूस नहीं करता है। शिव पुराण के अनुसार मृत्यु के संकेत का रहस्य  महाकाल ने स्वयं बताया है, जिसके बारे में हम आपको कुछ बताना चाहेंगे –

  • Shiv Puran अनुसार जब व्यक्ति को सूर्य और चंद्रमा तो दिखाई देते है लेकिन दिशाओं की जानकारी होना बंद हो जावे तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु 6 माह में होना निश्चित हो जाता है। जब चंद्रमा और सूर्य के आस पास काले एवम लाल रंग के चक्कर दिखने लगे तो उसकी मृत्यु 15 दिन में होना तय होजाती है।
  • शिव पुराण में मृत्यु के संकेत का एक रहस्य आकाश में सप्तऋषि तारामंडल के नही दिखाई देने पर 6 माह की जिंदगी शेष रहते है। चंद्रमा, तारे ठीक से दिखना बंद हो जावे तो अपनी मृत्यु एक माह दूर ही रहती है। ध्रुव तारा नही दिखने लगे तो जीवन 6 माह ही रहता है।
  • शिव पुराण अनुसार जब मृत्यु का Time पास आता है तब उसकी पानी, तेल, घी या कांच में या धरती पर अपनी परछाई दिखना बंद हो जाती है।
  • शिव पुराण में मृत्यु के संकेत से प्राचीनकाल में मृत्यु की जानकारी हो जाती थी। वर्तमान में इन संकेतो को ज्यादा महत्व नहीं देकर हॉस्पिटल से जानकारी लेते है।

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