ऐसे लिखें महाशिवरात्रि पर 10 लाइन व शिवरात्रि का महत्व क्या है

पुराणों, ग्रंथों और सनातन धर्म के अनुसार भगवान शिव सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ माने गए हैं। वैसे सभी देवी देवताओं का अपना श्रेष्ठ कार्य न तो कोई छोटा है और न ही कोई बड़ा है। पूरे भारत में भगवान शिव की पूजा-अर्चना अलग-अलग तरीकों से की जाती है। भगवान शिव के विशेष महाशिवरात्रि पर 10 लाइन से भगवान शिव की विशेष माहवारी क्या है। Mahashivratri पर की गई पूजा, आराधना से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते है। भगवान शिव का पूर्ण वर्णन करना असंभव सा है इसलिए Mahashivratri par 10 Line में छोटा सा विवरण प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे है।

Mahashivratri par 10 Line

महाशिवरात्रि पर 10 लाइन | Mahashivratri Par 10 Line

  1. भगवान शिव की 12 शिवरात्रि हर माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आती है। महा शिवरात्रि वर्ष में एक बार फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी को आती है जो ज्यादा अंधकार वाली और Energy का संचार करने वाली रात होती है।
  2. भगवान शिव कि महा शिवरात्रि की रात्रि शिवलिंग अनंत ज्योति स्तंभ के रूप में Prakat हुए।
  3. Mahashivratri को प्रकट अद्भुत शिवलिंग की पूजा सर्व प्रथम भगवान ब्रह्माजी एवम विष्णु जी ने की। इसलिए भी महाशिवरात्रि का महत्व बढ़ जाता है।
  4. इस दिन प्रकट शिवलिंग का प्रारंभ यानी Start को ढूंढने भगवान ब्रह्माजी हंस बनकर गए और भगवान विष्णु वराह रूप में भूमि के नीचे तक गए किंतु दोनो आदि अंत का पता नही लगा सके।
  5. सनातन, पुराणों और ग्रंथों के अनुसार महा शिवरात्रि की रात्रि में भगवान शिव के 64 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए जिसमे से वर्तमान में मात्र 12 ज्योतिर्लिंग ही दृष्टिगत यानी Show हो रहे है।
  6. महा शिवरात्रि के दिन समुद्र मंथन से निकला विषपान कर ब्रह्माण्ड को विनाश से बचा कर सभी देवी देवताओं की चिंताओं का हरण किया।
  7. शिवरात्रि को तो भगवान शिव की ही पूजा अर्चना की जाती है किंतु महा शिवरात्रि को भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा अर्चना की जाती है, जो परिवार को सुखमय बनाते है।
  8. महा शिवरात्रि को भगवान शिव माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न होने के कारण पारिवारिक भक्तजन अपने सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना करते है।
  9. महा शिवरात्रि की विशेषकर विवाह योग्य लड़के लड़कियां पूजा अर्चना कर मनचाहा वर – वधु के आशीर्वाद प्राप्त करते है।
  10. महा शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा, अर्चना, आराधना, जाप, कथा, अभिषेक व्रत उपवास करने एवम भंग, धतूरा और आक के पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है एवम जीवन में सुख शांति का आशीर्वाद भगवान शिव देते है।

महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है

महाशिवरात्रि का महत्व | Mahashivaratri ka Mahatv

भगवान शिव जो आदि अनादि होकर एक अद्भुत परिवार एवम जगह पर निवास कर है परिवार में एक संदेश जरूर पहुंचते है कि कैसे एक दूसरे के दुश्मन जानवर भी एक साथ मिलझुलकर रह सकते है। भगवान शिव कि Mahashivaratri ka Mahatv बता रहे है जिससे हम भगवान शिव के समीप पहुंच सके। आध्यात्मिक व्यक्ति या परिवार के लिए महा शिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण है।

  • महाशिवरात्रि पर साधु संत भगवान शिव का कैलाश पर्वत के साथ एकात्मक होने के भाव मन में रखकर पूजा करते है। ऐसा करने से साधु संतो द्वारा की जाने वाली पूजा स्थिर एवम निश्चल रूप में होती है। यौगिक परंपरा अनुसार भगवान शिव की आदि गुरू के रूप में सम्मान देते है। Mahashivaratri की पूजा से शरीर की गतिविधियां शांत होकर स्थिर हो जाती है।इस रात्रि को स्थिरता की रात्रि भी कही जाती है।
  • भगवान शिव करुणा से ओतप्रोत उदार दाता है वही संहार कर्ता है। यह रात्रि एक मौका है जो शिव में तल्लीन होकर अपने भीतर के सारे दोष और विकारों को नष्ट करने का power पैदा करता है। यह रात्रि केवल रात में नींद से जागने की नही है बल्कि इस रात को Success बना कर चेतना, जागरूकता तथा ऊर्जा का संचार के लिए है।
  • भगवान शिव की महा शिवरात्रि घोर अन्धकार वाली रात्रि है। आपके मन में यह Question जरूर आएगा की अंधकार वाली रात्रि का क्या महत्व है तो हम बताते है कि प्रकाश स्थाई नहीं है। सीमित संभावनाओं को ही Light माना गया है क्योंकि प्रकाश घटेगा तो अंधकार ही प्राप्त होगा। जैसे प्रकाश को हम रोकते है तो परछाई रूपी अंधकार ही पैदा होता है जबकि अंधकार को रोकेंगे तो प्रकाश ही प्राप्त करेंगे। इसलिए इस रात्रि की negetivity को समाप्त कर posetivity प्राप्त करने के लिए यह महा शिवरात्रि है।
  • Mahashivaratri सीमित भावनाओं के विस्तृत में बदलने वाली रात्रि है।

Shivratri And Maha Shivratri में अंतर

बहुत सारे लोग फाल्गुन माह में आने वाली महा शिवरात्रि को ही शिवरात्रि कहते है जबकि ऐसा नहीं है। हम आपको Shivratri evm Mahashivaratri me Antar बता रहे है जिससे आपको इन दोनों का अंतर समझ में आ जायेगा। वैसे शिवरात्रि और महाशिवरात्रि भगवान शिव को ही समर्पित है। दोनो ही त्रयोदशी को होती है। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव वर्ष में आने वाली 11 शिवरात्रि आती है जिसमे श्रावण महीने में आने वाली शिवरात्रि का महत्व ज्यादा है। फाल्गुन माह में Mahashivaratri आती है। अब आपको शिवरात्रि एवम महाशिवरात्रि में अंतर का विस्तार से अवगत कराते है –

शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा की जाती है जबकि महाशिवरात्रि को भगवान शिव के साथ माता पार्वती जी की पूजा की जाती है। शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने से भगवान शिव से भक्ति की कामना करते हैं जबकि महाशिवरात्रि पूजा से मन में अग्नि अर्थात चेतना प्राप्त होती है। जो दाम्पत्य जीवन में प्रेम उत्पन्न करता है।

11 शिवरात्रि में श्रावण माह की शिवरात्रि का महत्व ज्यादा है क्योंकि समुद्र मंथन से प्रकट विष का पान करने से भगवान शिव के कंठ में जलन होने लगी तब धनवंतरी की चिकित्सा अनुसार शिव के पंचामृत Jalabhishek और बिल्व पत्र अर्पित कराया गया जिससे भगवान शिव को राहत मिली। तब से भक्तो द्वारा श्रावण मास में पंचामृत जलाभिषेक एवम बिल्वपत्र अर्पित कर भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। महाशिवरात्रि को भगवान शिव लिंग स्वरूप में स्थापित हुए। इस दिन शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।

भगवान शिव पर 10 वाक्य | Bhagwan Shiv Par 10 Vakya

भगवान शिव, भोले बाबा, नीलकंठ, उमापति आदि नाम उन भगवान शंकर के है जिन्हे महाशिवरात्रि को पूजा – पाठ, अर्चना – आराधना, जाप – तप, अभिषेक कथा आदि तरह से हम प्रसन्न कर आशीर्वाद मांगते है। भगवान Shiv सभी देवों के देव होने से महादेव कहलाए उनका महाशिवरात्रि को व्रत उपवास करने से भगवान की कृपा बनी रहती है। इसी भगवान शिव पर 10 वाक्य बता रहे है। जिस व्यक्ति द्वारा महाशिवरात्रि पर अनजाने में भगवान शिव पर बिल्व पत्र अर्पित हो जाते है और शिव उसे दया, करुणा, सद्भावना प्रदान कर उसका कष्ट हर लेते है ऐसे भगवान शिव का महा शिवरात्रि को स्मरण मात्र ही समस्त प्रकार से सुख दायक होता है। प्रस्तुत है Bhawgan Shiv Par 10 Vakya – 

  1. सनातन धर्म में महाशिवरात्रि को भगवान शिव का स्मरण से शिव कृपा बनी रहती है।
  2. महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की त्रयोदशी को मनाई जाती है।
  3. भगवान शिव इस दिन अनंत शिवलिंग स्वरूप में स्थापित हुए थे।
  4. महाशिवरात्रि को समुद्र मंथन से प्रकट विष का पान कर ब्रह्माण्ड को नष्ट होने से बचाया।
  5. महाशिवरात्रि को 64 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे जिसमे से 12 ज्योतिर्लिंग ही दृश्यमान है।
  6. महाशिवरात्रि को शिव के साथ साथ माता पार्वती की पूजा भी आवश्यक है।
  7. माता पार्वती के साथ शिव की इस दिन पूजा करने से दांपत्य जीवन हमेशा खुश रहता है।
  8. महाशिवरात्रि को कुंवारे लड़के लड़कियों द्वारा पूजा करने से योग्य वर वधु मिलते है।
  9. इस दिन पूजा में पंचामृत जलाभिषेक, बिल्वपत्र, भंग, धतूरा और आक के फूल अर्पण करने से भगवान शिव शीघ्र आशीर्वाद प्रदान करते है।
  10. महा शिवरात्रि का जागरण केवल नींद से ही नहीं जगाता बल्कि ऊर्जा और Posetiviti का संचार होता है।

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