महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है:- पौराणिक कथाओं और सनातन धर्म के अनुसार देवो के देव महादेव को महा शिवरात्रि बहुत ही प्रिय हैI महा शिवरात्रि को भगवान शिव शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे I महाशिवरात्रि पर 64 ज्योतिर्लिंग स्थापित हुए I माता पारवती द्वारा सावन मास में कठोर तपस्या करके भगवन शिव को विवाह हेतु राजी किया था I फाल्गुन माह की शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती के दाम्पत्य जीवन प्रारंभ हुआ I भगवान शिव को उपरोक्त कारणों से महा शिवरात्रि प्रिय है I
अब आपके मन में यह सवाल जरुर पैदा हो रहा होगा कि महा शिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है I जब भगवान को कोई प्रिय दिन है तो उस दिन बाबा भोलेनाथ काफी खुश रहते है I जब ख़ुशी के समय उनकी पूजा, व्रत, अनुष्ठान , जप आदि भक्तजन करता है तो स्वाभाविक तौर पर भगवान शिव शीघ्रता से सुन कर मनोकामना पूरी हो जाती है I महा शिवरात्रि व्रत, पूजा, अनुष्ठान, मन्त्र, जप आदि से भक्तो का ह्रदय पवित्र हो जाता है, दया, करुणा, प्रेम की भावना का संचार होता है I इस दिन शिव उपासना से मोक्ष प्राप्त होता है I Mahashivaratri Ka Vrat Kyo Rakha Jata Hai इसका विस्तार से बताने का प्रयास करते है I
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शिवरात्रि व्रत कब है
शिवरात्रि वर्ष में 12 बार आती है। इन 12 शिवरात्रियों में सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का अपना अलग ही महत्व है। फाल्गुन माह में आने वाली शिवरात्रि बड़ी पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। शिव भक्तो विधि द्वारा बारह शिवरात्रि पर एक ही विधान एवं नियम से शिव पूजा और व्रत उपवास का पालन किया जाता है। शिवरात्रि व्रत कब है, यह जानना जरूरी है।
– शिवरात्रि से संबधित लेख पढे – | |
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है | महाशिवरात्रि व्रत नियम |
शिवरात्रि के दिन क्या नहीं करना चाहिए | महाशिवरात्रि की कथा |
भगवान शिव की उपासना एवम व्रत से भक्तो को किसी मनुष्य से किसी प्रकार की भीख या याचना नही करनी पड़ती है। भक्त को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। भक्तो को किसी प्रकार की कमी का अहसास नही होता है। पारिवारिक जीवन में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नहीं होता है। यानी सुखमय दाम्पत्य जीवन व्यतीत होता है। मन में दया, सहनशीलता, करुणा एवम प्रेम भावना का संचार होता है। अब हम Shivratri Vrat Kab Hai इस बारे में विवरण Share करते है।
वर्ष 2024 की शिवरात्रि विवरण
दिनांक | वार | शिवरात्रि विवरण |
9 जनवरी 2024 | मंगलवार | मासिक शिवरात्रि |
8 फरवरी 2024 | गुरूवार | मासिक शिवरात्रि |
8 मार्च 2024 | शुक्रवार | महाशिवरात्रि |
7 अप्रैल 2024 | रविवार | मासिक शिवरात्रि |
6 मई 2024 | सोमवार | मासिक शिवरात्रि |
4 जून 2024 | मंगलवार | मासिक शिवरात्रि |
4 जुलाई 2024 | गुरुवार | मासिक शिवरात्रि |
2 अगस्त 2024 | शुक्रवार | सावन शिवरात्रि |
1 सितंबर 2024 | रविवार | मासिक शिवरात्रि |
30 सितंबर 2024 | सोमवार | मासिक शिवरात्रि |
30 अक्टूबर 2024 | बुधवार | मासिक शिवरात्रि |
29 नवंबर 2024 | शुक्रवार | मासिक शिवरात्रि |
महाशिवरात्रि | 8 मार्च 2024 |
निशिता मुहूर्त | रात्रि 12.06 से 12.55 तक |
प्रथम प्रहर पूजा | सायं 6.27 से 9.29 तक |
द्वितीय प्रहर पूजा | रात्रि 9.29 से 12.31 तक |
तृतीय प्रहर पूजा | रात्रि 12.31 से 3.33 तक |
चतुर्थ प्रहर पूजा | ब्रह्मवेला 3.33 से प्रातः 6.35 तक |
महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है
भगवान शिव की पूजा व्रत कभी भी, कही भी करे सदा फलदाई होता है। शिवरात्रि और महा शिवरात्रि की शिव उपासना व्रत का महत्व बहुत ही फलदायक होता है।पौराणिक कथाओं और सनातन धर्म के अनुसार देवो के देव महादेव को महा शिवरात्रि बहुत ही प्रिय हैI महा शिवरात्रि को भगवान शिव शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे I महाशिवरात्रि पर 64 ज्योतिर्लिंग स्थापित हुए I
माता पार्वती द्वारा सावन मास में कठोर तपस्या करके भगवान शिव का विवाह तय किया गया था I सवाल जरूर पैदा हो रहा है कि शिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है जब भगवान को कोई प्रिय दिन होता है तो वह दिन बाबा भोलेनाथ काफी खुश रहते हैं I
– शिवरात्रि से संबधित लेख पढे – | |
महाशिवरात्रि पर निबंध | महाशिवरात्रि की कथा |
महाशिवरात्रि स्टेटस | शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है |
जब ख़ुशी के समय उनकी पूजा, व्रत, अनुष्ठान , जप आदि भक्तजन करता है तो स्वाभाविक तौर पर भगवान शिव शीघ्रता से सुन कर मनोकामना पूरी हो जाती है I महा शिवरात्रि व्रत, पूजा, अनुष्ठान, मन्त्र, जप आदि से भक्तो का ह्रदय पवित्र हो जाता है, दया, करुणा, प्रेम की भावना का संचार होता है I इस दिन शिव उपासना से मोक्ष प्राप्त होता है I Mahashivaratri Ka Vrat Kyo Rakha Jata Hai इसका विस्तार से बताने का प्रयास करते है I
महाशिवरात्रि व्रत के नियम क्या है
बिना नियम निर्देश के कोई भी छोटा बड़ा कार्य कभी सफल नहीं होता। जब छोटे बड़े उद्यमों को नियम निर्देश देना जरूरी है तो फिर देवो के देव की पूजा बिना नियम के व्रत पूजा करने का साहस हम कैसे कर सकते हैं। यह तो सर्वविदित है कि भगवान शिव जैसे पवित्र मन से पूजा करने पर प्रसन्न होते हैं, वैसे ही व्रत पूजा में यदि व्रत पूजा में कोई गलत या त्रुटिपूर्ण खंडित हो जाता है और खंडित पूजा व्रत से भगवान शिव रौद्र रूप धारक को नष्ट कर दिया जाता है। नहीं जा सकता. व्रत पूजा आराधना त्योहार महाशिवरात्रि व्रत के नियम क्या हैं इस पर चर्चा करेंगे।
महाशिवरात्रि व्रत को नियमानुसार किया जाना बहुत जरूरी है। व्रत केवल भूखा रहना, रात की नींद खराब कर रात्रि जागरण करना नही बल्कि ये सब संकल्प श्रद्धा,, पवित्र मन से किए जाते है। हम आपको बताएंगे कि Mahashivratri Vrat Ke Niyam Kya Hai जिस कारण से हम बिना गलती से नियमानुसार व्रत करेंगे तो भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते है –
- महाशिवरात्रि को प्रातः जल्दी उठकर मां पार्वती और भगवान शिव के सामने व्रत पूजा करने का संकल्प लेवे। संकल्प के दौरान अपनी मनोकामना Repet करे और व्रत को निर्विघ्न पूर्ण करने का आशीर्वाद प्राप्त करे। शौचादि से निवृत होकर स्वच्छ पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करे। स्नान के बाद नए कपड़े यानी पूजा में काम लेने वाले कपड़े पहन कर भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देना होता है।
- पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल वस्त्र पर शिव – पार्वती प्रतिमा विराजमान करे। मंदिर में पूजा करते हो तो वहा स्वच्छ और पवित्र कर ले।
- पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, मिश्री ) से शिवलिंग को पवित्र मन से स्नान करावे। जल से जलाभिषेक करना है। चंदन से त्रिपुंड, लच्छा, बिल्वपत्र, आक पुष्प, धतूरा अर्पण करे। भगवान शिव को कंकू का तिलक, तुलसी, मेहंदी, केवड़े का पुष्प अर्पित नही किया जाता है।
- भगवान शिव को फल, पान पत्ते पर मिश्री, सुपारी, सिक्का, इलायची, लौंग जलेधारी पर अर्पण करे। जलेधारी पर पूजा सामग्री के अलावा कुछ भी नही रखे। बहुत सारे भक्त जलेधारी पर पूजा की थाली, जल का लोठठा रख देते है। अतः यह सावधानियां रखनी आवश्यक है।
- अब आप शिव चालीसा, शिव स्त्रोत, मंत्र जप करे। फिर आरती कर प्रसाद वितरण कर प्रसाद ग्रहण करे। फिर अगले दिन सामान्य पूजा कर अपना व्रत खोले।
शिवरात्रि की कथा
शिवरात्रि को भक्तजन दिनभर पूजा, उपासना, अभिषेक आदि में मस्त रहते है। रात्रि जागरण में भजन, पूजन के साथ साथ शिवरात्रि कथा का भी आयोजन होते है। भोले शिव के दीवाने इस दिन रात भगवान शिव की भक्ति में पूरी तरह रम जाते है। इस तरह शिव भक्ति देखकर भगवान शिव बहुत खुश हो जाते है। इन भक्तो की मनोकामनाएं पूरी करते है। शिवरात्रि की कथा सुनकर मांसाहारी, निर्दयी की भी भावना परिवर्तन होकर दयालु बना देते है। इस कथा का श्रवण या वचन जन्म मरण के बंधन से मुक्त करता है। अब हम आपको शिव पुराण में वर्णित Shivratri Ki Katha सुनाते है जिससे आपको मन भी पवित्र होकर आपके जीवन में खुशियों का संचार करे।
चित्रभानु नामक एक Hunter एक व्यापारी को लिया कर्ज नहीं अदा कर रहा था। बार बार कर्ज वसूली का कहने के बाद भी कर्ज नहीं लौटने पर क्रोधित व्यापारी ने उस शिकारी को एक शिव मठ में बंदी बना लिया। संयोग देखिए उस दिन शिवरात्रि हों के कारण वहा शिव पूजा, उपासना एवम कथा का आयोजन किया गया। शिव उपासना का दृश्य शिकारी भी ध्यान से देख सुन रहा था। कर्ज चुकाने की भावना जगने से शिकारी ने व्यापारी को शीघ्र कर्ज चुकाने का वादा किया।
शिकारी अपनी आदत एवम मजबूरी के कारण शिकार करने जंगल में चला गया। शिकार तो मिला नही और जंगल में ही रात हो गई। अब रात्रि में एक तालाब के किनारे स्थित बिल्व पत्र पेड़ पर सुरक्षित स्थान पर बैठ गया। इस बिल्व पत्र पेड़ के नीचे पत्तो से ढका एक शिवलिंग स्थापित था।जिसकी जानकारी शिकारी को नहीं थी। आराम से रात्रि विश्राम हो इसके लिए उसने कुछ शाखाएं तोड़कर जमाने लगा इस कार्य में कुछ बिल्व पत्र शिवलिंग पर अनजाने में गिरे गए। शिकारी भूखा प्यासा उसी पेड़ पर बैठा रहा। यह भी अनजाने में उसके शिवरात्रि का व्रत हो गया।
कुछ ही Time बाद वहा एक preganate हिरणी तालाब पर पानी पीने आई। शिकारी us पर तीर चलाने ही वाला था कि हिरणी बोली मैं Preganate हूं शीघ्र ही मैं बच्चो को जन्म देने वाली हूं। तुम एक साथ दो जीवों को हत्या कर अनुचित कार्य करोगे। बाद में हिरणी ने वचन दिया कि बच्चे को जन्म देते ही तेरे पास स्वयं आ जाऊंगी। शिकारी ने वचन के आधार पर इस हिरणी को छोड़ दिया। उसके हिलने डुलने से बिल्व पत्र के पत्ते शिव को अर्पण होते जा रहे थे। इस तरह अनजाने में प्रथम प्रहर की पूजा पूर्ण हो गई।
कुछ समय के बाद एक हिरणी ओर आई, शिकारी ने शिकार करने के लिए निशाना लगाने लगा तभी हिरणी ने Request की कि मैं कामातुर हूं और अपने प्रेमी को ढूंढ रही हूं। अपने प्रेमी से मिलकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी। शिकारी को दया भाव आने से उसको भी जाने दिया। इस हलचल से शिवलिंग पर बिल्व पत्र के पत्ते गिरते जा रहे थे। इस तरह दूसरे प्रहर की पूजा संपन्न हो गई।
इस बार आपके बच्चों के साथ तीसरी हिरणी यहां आई है। हंटर ने पुनः आरंभ करने की योजना बनाई, जिसमें हिरानी ने प्रार्थना की कि मैं अपने बच्चों को उनके पिता के पास ठीक कर दूं और जाऊंगी। हंटर ने कहा मैंने दो-दो हिरणों को जाने दिया तुम्हें नहीं जाने दो। हिरानी की बार – बार याचना से हंटर ने दयावश इस हिरानी को भी जाने दिया। इस तरह बिल्व पत्र लिंग पर गिर ही रहे थे। हंटर भी भूख से व्याकुल बिल्व पत्र पत्ते तोड़ना तोड़ कर नीचे डाला जा रहा था वो भी संयोग से सभी लिंग पर साक्षात्कार में निर्भय हो रहे थे।
शिकारी ने विनम्रता से उस मृग परिवार को जीवनदान देते हुए वापस भेज दिया। शिकारी द्वारा इस तरह शिव उपासना से भगवान शिव ने उसके सारे संकट का हरण कर लिया। सुख शांति से जीवन यापन के बाद उसे मोक्ष प्राप्त होते हुए शिवलोक की प्राप्ति हुई। भगवान शिव बहुत ही भोले है और अपने भक्तो की श्रद्धा से की गई उपासना से शिव कृपा कर मन वांछित फल प्रदान करते है।