ये 13 काम भूलकर भी शिवरात्रि के दिन नहीं करना चाहिए

शिवरात्रि के दिन क्या नहीं करना चाहिये:- भगवान शिव को कभी भी किसी भी परिस्थिति में स्मरण करेंगे तो भी वो हमारी प्रार्थना सुनता है । किसी भी काम के लिए नियम जरूर होते है। हम किसी School, संस्था या धर्मस्थल में बिना अनुशासन के जायेंगे तो बाहर निकल दिए जायेंगे। बिना नियम या अनुशासन के कोई भी कार्य सफल नहीं होता है उसी तरह भगवान शिव की पूजा आराधना में नियमो का पालन आवश्यक है।

 Shivratri Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye

इसीलिए हम आपको शिवरात्रि के दिन क्या नही करना चाहिए वर्णन कर रहे है। भगवान शिव जितने सरल होकर आशीर्वाद प्रदान करते है उसी तरह शिव को जो पसंद नही उसके लिए तीसरा नेत्र खोलने में देरी भी नही करते है। पूजा, पाठ, अभिषेक, जाप आदि में  Shivratri Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye यह बताना आवश्यक है।

शिवरात्रि के दिन क्या नहीं करना चाहिये | Shivratri Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye

  • शिवरात्रि के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। 
  • तामसिक भोजन का अर्थ वो भोजन है जिससे गुस्सा आता हो, दया, करुणा नही आती हो, नास्तिक बनाता है।
  • इस दिन खट्टे पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • भगवान शिव की पूजा और प्रसाद में तुलसी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • Shivratri के दिन Black कपड़े नही पहनना है।
  • शिवरात्रि के दिन नहाने के बाद पूजा पाठ करना आवश्यक है।
  • शिवलिंग पर चढ़ाएं गए प्रसाद ग्रहण करने से धन हानि होती है एवम दुर्भाग्य को आमंत्रण देते है।
  • शिव पूजा में हल्दी, सिंदूर, रोली, कुमकुम और मेहंदी का उपयोग कभी नही करना चाहिए।
  • शिव पुराण के अनुसार शिव पूजा में शिवलिंग पर तुलसी पत्ता, केतकी, कनेर, कमल का फूल एवम केवड़े का फूल नही चढ़ाना चाहिए।
  • शिव पूजा की थाली में चावल ( अक्षत ) बिना टूटे हुए होने चाहिए क्योंकि भगवान शिव को टूटे चावल नही चढ़ाए जाते है।

शिवरात्रि के दिन क्या करें

हम शिवरात्रि के दिन क्या करे जिससे भगवान आशुतोष प्रसन्न होकर उनकी कृपा सदा हम पर बनी रहे। भगवान शिव तो आंतरिक भाव से जल अर्पण करने से ही भक्त को बारे न्यारे कर देते है। शिवरात्रि भगवान शिव का विशेष दिन होता है। उस दिन तो कम से कम उनकी विधि, सनातनी परंपरानुसार पूजा, अर्चना, आराधना, अभिषेक, जाप वगैरह करके एक पुत्र का धर्म का निर्वहन करे। आइए हम आपको बता रहे है की Shivratri ke Din Kya Kare .

शिवरात्रि पर रात्रि जागरण करते हुए शिव सहस्रनाम या शिव-विवाह की कथा और शिव पुराण पाठ करें। जो भक्त भगवान शिव की साज-सज्जा के फूल सो जाते हैं, उन्हें व्रत की पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। रात्रि विश्राम से पहले शाम को अंतिम संस्कार करें और फिर भजन कीर्तन करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि मिलेगी और पोर्टफोलियो का अंत होगा। शिवरात्रि पर घर में पारद के शिवलिंग की स्थापना के लिए उपयुक्त ब्राह्मण से सलाह कर प्रतिदिन पूजन कर सकते हैं। इससे जुड़ें बढ़ने के योग हैं।

  • शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
  • शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें। साथ ही ॐ हौं जूं सः। ॐ भूर्भुवः स्वः। ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मुक्षीय मामृतात्। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं हौं ॐ। मंत्र का जप करते रहें। इससे बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।
  • शिवरात्रि पर भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं। तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है।
  • अगर विवाह में अड़चन आ रही है तो शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर मिलाकर दूध चढ़ाएं। जल्दी ही विवाह हो सकता है।
  • मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें। इससे धन की प्राप्ति होती है।
  • शिवरात्रि पर 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
  • शिवरात्रि पर नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा।
  • शिवरात्रि पर भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं। तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है।
  • अगर विवाह में अड़चन आ रही है तो शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर मिलाकर दूध चढ़ाएं। जल्दी ही विवाह हो सकता है।
  • आप शिवलिंग पर बिल्वपत्र, भांग व धतूरा आदि अर्पित कर प्रसन्न करे।

मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करें

शिवरात्रि व्रत का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार व्रत करने के धार्मिक एवम वैज्ञानिक कारण है। पुराणों और ग्रंथों में Shivratri Vrat Ka Mahatv के वर्णन अनुसार व्रत करने से भगवान का स्मरण करने के लिए मानसिक वातावरण बनता है। जब भक्ति का Enviorment बनेगा तो शिवरात्रि पूजा – अर्चना से भगवान शिव को प्रसन्न का सकते है। व्रत से आपको पेट संबंधी समस्या उत्पन्न नहीं होने से अपवित्र होने का डर नही रहता है। शिवरात्रि का व्रत करने से भक्त के स्वभाव में दया, प्रेम, सहयोग, सहनशीलता आदि सद्गुणों का संचार होता है जो आपके व्यक्तित्व में निखार लाता है। अब हम आपको शिवरात्रि व्रत का महत्व विस्तार से बताते हुए आग्रह करेंगे कि आप भी शिवरात्रि का व्रत करे। 

  • शिवरात्रि का व्रत करने से मन में बैचनी कम होती है जससे शरीर और मन हल्का रहता है। भक्तो का दिमाग अधिक Active होता है।
  • शिवरात्रि का व्रत करने से अपने पूर्वजों का उद्धार होता है तथा स्वयं भी कष्टों से दूर रहता है। इस व्रत का महत्व यह है कि इससे जीवन में सारे सुख प्राप्त होते है एवम दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य और मनचाही संतान प्राप्त होती है।
  • जब हमारा मन और शरीर दोनो ईर्ष्या मुक्त हो जाता है तो हमारे अंदर पूजा, अर्चना एवम प्रार्थना की इच्छा Active होती है। पूर्ण ईमानदारी एवम सहनशीलता से Shivratri Vrat करने से भगवान शिव की कृपा हम  पर रहेगी।
  • Shivaratri व्रत करने से हम अपने Sharir की प्राकृतिक गतिविधियों को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाते है ताकी हम अपने स्वार्थ के लिए विचलित नहीं हो सके। 
  • Shivaratri व्रत करने से स्वार्थ, वासना, क्रोध, Negative सोच और चिंता जैसी भावनाएं समाप्त होता है।
  • जब हम शिवरात्रि व्रत करते है और इस दिन भगवान शिव के लिए की गई पूजा अर्चना से सभी पापो और विकारों से मुक्ति मिलती है।
  • Shivaratri का Vrat करने का वैज्ञानिक महत्व यह है कि व्रत के दिन बहुत आसानी से पचने वाले दूध और पानी पीने से पेट की मशीनों को Rest मिलता है जो स्वस्थ्य रहने के लिए आवश्यक है।

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