शिव भक्त मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करें जिससे भोले बाबा होंगे खुश

मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करें:- भगवान शिव की पूजा, अनुष्ठान, अभिषेक, मंत्र जाप, भजन, व्रत उपवास आदि सरल है, तन मन पवित्र किये जाते हैं। किसी भी कार्य की सफलता के लिए कुछ नियम, निर्देश, पाबंदियों का ध्यान रखना जरूरी है। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से जीवन में खुशहाली, दाम्पत्य जीवन की खुशियाँ, विवाह योग्य विवाह होना, आदि मन पूर्ण होता है। इन मासिक व्रत करने से भगवान शिव की भक्ति, दूसरो की सहायता, दया, प्रेम की भावना प्रकट होती है जिससे आपके जीवन में तो निखार ही आता है दूसरो के मन में आपकी प्रति संस्था पैदा होती है।

Masik Shivratri Vrat Kaise Kare

आइए हम बताते है कि Masik Shivratri Vrat Kaise Kare . मासिक शिवरात्रि व्रत को भगवान शंकर की पूजा विधि पूर्वक करने से आशीर्वाद Quickly मिलता है। इस दिन प्रातः काल उठकर नहा धोकर पवित्रता के साथ पूजा करनी चाहिए। शुद्ध घी का दीपक और अगरबत्ती प्रज्वलन करके सब से पहले भगवान सूर्य को जल अर्पित करना है। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा की जाती है। बाद में शिवजी की सवारी नंदी की पूजा, फिर माता पार्वती की पूजा के बाद शिवलिंग पूजा का Number आता है।

मासिक शिवरात्रि व्रत का अर्थ 

शिव पुराण के अनुसार मासिक शिवरात्रि की पूजा और व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से सुख की प्राप्ति के साथ मंत्र पूर्ण होते हैं। शिवरात्रि और शक्ति के एकाकार होने का प्रतीक इस व्रत से दाम्पत्य जीवन सुखमय बनाया जाता है। भोलेनाथ के दर्शन में प्रकट होने के पावन अवसर का व्रत आने वाले संकटों को दूर करने के लिए किया जाता है। मासिक शिवरात्रि व्रत का अर्थ यह है कि भगवान शिव की प्रिय रात्रि का व्रत, पूजा से मनायें।

शिव ने हमेशा एक पिता का Roll अदा कर हमे पाला पोसा है, हमारा संरक्षण किया है, हमे सदा विपत्तियों से उबारा है। एक पिता अपने पुत्र से आखिर चाहता क्या है, केवल खुशियां। शिव को हमारी भौतिक सुख सुविधा, धन की आवश्यकता नहीं है। यदि हम उनकी पूजा एवम व्रत पवित्र मन से करेंगे तो परम पिता शिव की कृपा हमेशा बनी रहेगी। मासिक शिवरात्रि व्रत से सुख, सौभाग्य, संतान प्राप्ति और Success होते है। इन्ही सभी बातों से आप Masik Shivratri Vrat Ka Arth भली भांति समझ गए होंगे।

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मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करें | Masik Shivratri Vrat Kaise Kare

हिंदू सनातन और पुराणों के अनुसार व्रत उपवास के अलग अलग नियम एवम विधियां निर्धारित है। व्रत करने का अर्थ केवल भूखे रहने से नही है। व्रत एक साधना का रूप होता है जिसे करने पर भगवान के समीप पहुंचने का रास्ता मिलता है। व्रत करने से व्यक्ति में सहनशीलता बनी रहती है। मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करे इस संबंध में जानकारी प्राप्त करेंगे। भगवान शिव ने हमेशा अपने भक्तो का संरक्षण कर आशीर्वाद प्रदान किए है।

भगवान शिव का व्रत के साथ ॐ नमः शिवाय का जप हमेशा हमे परेशानियों से दूर रखता है। हम आपको Masik Shivratri Vrat Kaise Kare की विधि बता रहे हैं। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से हमेशा सुख शांति बनी रहती है।

  1. शिवरात्रि व्रत के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर घर या मंदिर में शुद्ध घी का दीपक एवम धूप प्रज्वलित करे।
  2. सबसे पहले भगवान भास्कर को जलांजलि अर्पित करना है।
  3. शिव की एक विशेषता है कि पूरे परिवार की पूजा के बाद स्वयं की पूजा करवाते है। इसी क्रम में गणपति महाराज की पूजा करते है। क्योंकि गणपति जी मंदिर के द्वार पर ही स्थापित होते है।
  4. भगवान शिव की सवारी नंदी की पूजा भी पूरी विधि से की जाती है।
  5. मंदिर में स्थापित हो तो कार्तिक स्वामी की पूजा होती है।
  6. जगज्जननी माता पार्वती की पूजा का नंबर आता है। माता को बिंदी, चूड़ी, कर्णफूल, मेहंदी चुनरी का विशेष श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं माता से सौभाग्य का आशीर्वाद लेती है।
  7. अंत में भोलेनाथ को जलाभिषेक, पंचामृत, चंदन, लच्छा, बिल्वपत्र, आक पुष्प, धतूरा, भंग, फल, मिठाई, मिश्री अर्पण की जाती है। आक पुष्प, धतूरा, भंग के अलावा सभी देवों को पूरी पूजा अर्पण होती है। कंकू का प्रयोग भगवान शिव के अलावा सभी के किया जाता है। पूजा के बाद मंत्र जप और शिव चालीसा या अन्य शिव पाठ करना चाहिए। बाद में आरती कर पूजा समापन होती है।
  8. मासिक शिवरात्रि व्रत में अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखना, ब्रह्मचर्य का पालन, किसी के प्रति कुविचार नही लाना, नॉनवेज, शराब और तामसिक पदार्थों का सेवन Allow नहीं होता है। 

मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व | Masik Shivratri Vrat Ka Mahatv

भगवान शिव हमेशा अपने कर्मो के हिसाब से सब कुछ देता रहता है। तो आपके मन में प्रश्न जरूर उठेगा कि फिर ये व्रत, पूजा करने की जरूरत ही क्या? इसके जवाब में आपको मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व के बारे में बताते है। प्रथम तो यदि शिव ने हमे इस जन्म में भक्ति, सुख, शांति, दया प्रदान कर रखी है तो हम अगला जन्म को सुखमय करने के लिए व्रत पूजा अनुष्ठान करते है।

द्वितीय यदि इस जन्म में हम दुखी होकर जीवनयापन कर रहे है तो इन दुख, परेशानी, अशांति, नास्तिकत्ता दूर करने के लिए व्रत पूजा करते है। क्योंकि पाप, कुकर्मों के ऋण से मुक्त होने के लिए व्रत, पूजा, अनुष्ठान का भुगतान करना पड़ेगा। आइए Masik Shivratri Vrat Ka Mahatv आपको Detail में समझाते है।

  • पुराणों और सनातन धर्म में शिवरात्रि का व्रत, पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है।
  • मासिक शिवरात्रि के व्रत पूजा सच्चे मन और आस्था से किए जावे तो जीवन में कष्टों की Entry नहीं होती है।
  • मासिक शिवरात्रि के व्रत पूजा करने से भोले बाबा शीघ्र खुश होते है जिससे कभी भी तन, मन और धन के संकट दूर रहते है। सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
  • Masik Shivratri Vrat करने से ये जीवन सुखी होने के साथ ही मोक्ष प्राप्ति होती है।
  • मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत पूजा शीघ्र स्वीकार्य इसलिए होती है क्योंकि शिव स्वयं लिंग रूप में Present रहते है।

मासिक शिवरात्रि के व्रत में क्या खाना चाहिए

भगवान शिव स्वयं उदार, दयालु, सहनशील है। इन सभी गुणों को प्राप्त करने के लिए खान पान का अपना विशेष योगदान रहता है। भक्तो के मन में इस बात का जरूर सवाल उठता होगा की मासिक शिवरात्रि के व्रत में क्या खाना चाहिए। भगवान शिव शक्ति को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को किया जाता है। पूजा आराधना के बाद फलाहार से अपना व्रत खोला जाता है।

मासिक शिवरात्रि के व्रत में कुछ भक्तजन केवल फलाहार ही लेते है तो कोई फलाहार भी लेते है और एक समय भोजन करते है तो कोई केवल एक Time भोजन करते है। भोजन करने वाले को सात्विक भोजन करने की Parmission है। आइए Masik Shivratri ke Vrat me Kya Khana Chahiye का विस्तार से अध्ययन करते है –

  • भगवान शिव को दूध, दही, ताजे फल जिसमे केले, अनार, नारियल, आम का भोग लगाना शुभ है इसलिए उक्त पदार्थों का सेवन किया जाना उत्तम है।
  • शिवरात्रि व्रत में दाल, चावल, गेहूं या कोई भी पूरा अनाज ( साबुत ) और Simple नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। सेंधा नमक को उपयोग में लाया जाता है।
  • सब्जियों में पालक, फूल गोभी, बैंगन और परवल खाने की अनुमति नहीं है। मसालेदार भोजन और बेसन से बनी चीजे खाने की parmission नही है। इन से व्रत खंडित होता है।
  • मासिक शिवरात्रि में व्रत शाम की पूजा के बाद खोला जाता है। सात्विक भोजन जैसे फल, कूटू आटा, साबूदाना की खीर से फलाहार किया जाता है।

मासिक शिवरात्रि व्रत विधि | Masik Shivratri Vrat Vidhi

मासिक शिवरात्रि की पूजा व्रत मोक्ष प्रदान करने वाले होते है।  इस व्रत पूजा से मन वांछित फल प्राप्त होता है।   मासिक शिवरात्रि के दिन लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी, सीता जी द्वारा भी भगवान शिव की व्रत पूजा कर प्रसन्न किया गया था। मासिक शिवरात्रि व्रत की रात्रि जागरण में शिव पुराण पाठ सुनना बहुत लाभदायक है। व्रत के जागरण में भक्तो को शिवजी के मंत्र का जाप, शिव चालीसा या शिव स्त्रोत का पाठ निरंतर जारी रखना चाहिए। व्रत के जागरण से अपनी पांचों इंद्रियों को control में रखा जा सकता है। मासिक शिवरात्रि व्रत विधि के बारे में बताते है।

भगवान शिव को जल, चंदन, पंचामृत (दूध, दही, शहद, मिश्री और शुद्ध घी का मिश्रण), फल, बिल्व पत्र, आक का पुष्प, धतूरा, घी का मिश्रण दिया जाता है। बाद में शिव मंत्र का जाप एवं शिव चालीसा पाठ करें। अंत में आरती कर पूजा पूर्ण करे। इस व्रत में तामसिक मदिरा का सेवन वर्जित है। एक बार भोजन करे। ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना आवश्यक है। व्रत को विधि से करने पर जीवन में होने वाली समस्या का अंत होता है।

  • मासिक शिवरात्रि  की व्रत पूजा में जलाभिषेक के बाद बिल्वपत्र अर्पण करना होता है। बिल्व पत्र से शिवलिंग पर ठंडा पानी छिड़कने से भगवान शिव कभी भक्तो पर गुस्सा नही होंगे।
  • शिवलिंग पर चंदन से त्रिपुंड तिलक लगाना शुभ होता है।
  • भगवान शिव को बिल्व पत्र और पुष्पों से श्रृंगार कर उन्हे मनमोहक बनाते है उनका सम्मान करते है।
  • व्रत के टाइम धूप दीप प्रज्वलित करने से भोलेनाथ अपने सारे दुःख दर्द नष्ट कर देते है। शुद्ध घी के दीपक से मनुष्य के अज्ञानता से प्रकाश की ओर  बढ़ता है। इससे भक्तो की Progress के रास्ते खुल जाते है।
  • शिव पूजा में पान अर्पण करने से भक्तो को संतुष्टि उत्पन्न होती है। ये पत्ता शुभ होता है।
  • मासिक शिवरात्रि व्रत करने से भक्तो की सारी परेशानियां दूर होती है। धन संबंधित बाधा नहीं आती है। पुराने कर्जों से मुक्ति मिलती है।

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