जानिए आध्यात्मिक व धार्मिक महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व

Bhagwan Shiv उनका और परिवार अद्भुत है। यह परिवार और स्वयं शिव, धार्मिक भावना के साथ-साथ वैज्ञानिक विद्वानों से भी महत्वपूर्ण है। हम आपको महाभारत के वैज्ञानिक महत्व की जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। भगवान शिव को पर्यावरण संरक्षक के रूप में जाना जाता है। जिससे कई पर्यावरण संरक्षण को सक्रिय करने के लिए प्रेरित किया गया है। Mahakal को पहाड़ों के देवता के रूप में पूजा जाता है। और उनके वन्य पर्यावरण और वन्य जीवों सहित प्राकृतिक दुनिया से विशेष जुड़ाव रखा जा रहा है, इसी कारण से बौद्धों के प्रति सम्मान करवाद के महत्व को बढ़ावा देने में मदद की है।

Mahashivratri Ka Vaigyanik Mahtva

भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले जहर एवं विश्व को पीकर दुनिया और प्रकृति की रक्षा की है । इस तरह भगवान शिव ने दुनिया में लोगों और प्रकृति की रक्षा करने का मंत्र दिया है। प्राकृतिक दुनिया के संरक्षण के लिए भी भगवान शिव को पूजा जाना जरूरी है। भगवान शिव की जटा से निकली गंगा भी पूजनीय होकर भक्तों द्वारा उसके पर्यावरण पर पॉजिटिव कार्य किया जाता है। Mahashivratri Ka Vaigyanik Mahtva का विस्तार से अध्ययन करते है।

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व | Mahashivratri Ka Vaigyanik Mahtva

सनातन धर्म, वेद पुराणों में वैज्ञानिक महत्व को दृष्टिगत रखते हुए उपासना, यज्ञ, उत्सव, त्यौहार, परंपरा के विधान बनाए गए है। Mahashivratri ka Vaigyanik Mahatv की बात करे तो इस रात्रि को ध्यान मुद्रा में शिव उपासना करने से रीढ़ की हड्डी Strong होती है, मानसिक विचार शुद्ध और तीव्र होते है, Posetive Power Devlop होते है। ध्यान मुद्रा या खड़े रहने से Posetiv ऊर्जा का मस्तिष्क में संचार होता है। इसीलिए इस रात्रि में सोना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है। महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व इस बात से भी है कि इस दिन जिस शिवलिंग की पूजा की जाती है वो एक ऊर्जा पिंड होकर गोल, लंबा और वृताकार है।

महाशिवरात्रि की रात्रि में ग्रह का उत्तरी  गोलार्द्ध इस प्रकार स्थित हो जाता है कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है मतलब प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक ले जाने में साथ देती है। महाशिव रात्रि के दिन भक्तजन शिवोपासना के लिए ऊर्जा के साथ ध्यान मुद्रा में विराजित होते है और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है जिससे भक्तो को Supar Power का एहसास होता है। जिस प्रकार नदियों में आने वाली बाढ़ का प्रभाव रोकने के लिए बांधो का निर्माण किया जाता है। अंधेरी रात्रि में उत्पन्न सारी Negetivity को समाप्त करने के लिए संरक्षक, संहारक, ऊर्जावान भगवान शिव की शिवरात्रि पूजा उपासना की जाती है।

शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

भगवान शिव का महत्व आध्यात्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक कारण से भी है। भगवान शिव से संबंधित सभी उपासना, मंत्र, आराधना, जलाभिषेक, रात्रि जागरण आदि केवल धार्मिक दृष्टि से नही बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी हितकारी है। कई लोग शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है इसका संबंध धार्मिक लाभ से ही जानते है। सनातन संस्कृति में जितने भी देवी देवता या अन्य परंपरा बनाई गई है उनके पीछे वैज्ञानिक कारण जरूर रहे है। भगवान शिव के शिवलिंग स्वरूप में प्रकट होने, ज्योतिर्लिंग उद्भव, भगवान नीलकंठ द्वारा विष पान आदि संदर्भ में शिवोपसना कर अपने जीवन में भक्ति प्राप्त करना, मन वांछित फल प्राप्त करना Shivaratri Kyo Manai Jati Hai इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी अपना महत्व रखते है।

कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या को चंद्रमा अस्तित्व में नहीं रहते है। चंद्रमा का क्षीण होना कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन से प्रारंभ हो जाता है। चंद्रमा का क्षीण होने का अर्थ अंधकार, तामसी, negetiveity का संपूर्ण भू मंडल पर प्रभाव डालता है। इससे प्राणियों में नाना प्रकार के अनैतिक कार्यों या अपराधो का उत्पन होना स्वाभाविक है। ये आपराधिक प्रवृत्तियों वालों को भूत प्रेत या राक्षस कहा जाता है, जिनके मालिक भूतनाथ यानी भगवान शिव है। भगवान शिव प्रकाश के प्रतीक होकर उनको हावी नहीं होने देते है। शिवरात्रि जो अमावस्या के एक दिन पूर्व आती है, को शिवोपासन कर शिव को प्रसन्न किया जाता है।

शिवरात्रि को रात्रि जागरण करना भी वैज्ञानिक कारण में आता है। वेद पुराणों और सनातन धर्म के अनुसार रात्रि जागरण में शिव आराधना कर शिव को प्रसन्न करने के साथ ही अपने स्वास्थ्य लाभ का भी कार्य कर रहे हैं। कृष्ण पक्ष में होने वाली शिवरात्रि की सबसे बड़ी अंधेरी रात होती है। ऐसी रात में वैज्ञानिक कहते हैं कि शरीर की ऊर्जा का संचार नीचे से ऊपर की तरफ होता है। ऐसी रात में सोने की मनाही इसलिए की जाती है ताकि भक्त पूरी रात ध्यान मुद्रा में संपूर्ण ऊर्जा मस्तिष्क की तरफ प्रवाहित करे। इसी ऊर्जा प्रवाह का कारण रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है।

महाशिवरात्रि की कथा

शिवरात्रि पर वैज्ञानिको के आधार पर होने वाले परिवर्तन

सनातन से चली आ रही भक्ति, यज्ञ, परंपराएं, रीति रिवाज, त्योहार आदि जिन्हे आधुनिक युग में लोग अंधविश्वास, ढोंग,व्यर्थ बताते है उन्हे यह बताना जरूरी है कि यह सभी धर्म के साथ साथ विज्ञान से भी जुड़े हुए है। भारत जैसे पुरातन देश में देवी देवताओं, साधु संतो, दिव्य पुरुषो द्वारा संचालित हरेक विधि, नियम धार्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक कारण रहे है। शिवरात्रि पर वैज्ञानिकों के आधार पर होने वाले परिवर्तन के बारे में आपको समझाते है।

शिवरात्रि का दिन us Shiv को समर्पित किया गया है जो प्रकृति यानी जीव, जंतु, पर्वत, नदिया, वनस्पति का द्योतक है, परिवार में विषम शत्रु जीवो को एक साथ जोड़ते है, सहनशीलता के परिचायक है, ब्रह्माण्ड को नष्ट करने से बचाने के लिए विषपान किया। भगवान शिव ने ये सब लीलाएं केवल दिखाने के लिए नही की है। शिवरात्रि को शिव की उपासना मानव जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाती है जिससे मानवता के गुण विद्यमान रहते है। आइए अब हम Shivratri Par Hone Vale Parivartan को विस्तार से बताते है –

  • शिवरात्रि के दिन का जहां धार्मिक एवम आध्यात्मिक महत्व है वही वैज्ञानिक रूप के मौसम परिवर्तन, खगोल ( आकाशीय ) विज्ञान, स्वास्थ्य एवम मानसिक कल्याण में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • महा शिवरात्रि के दिन जब सूर्य भूमध्य रेखा के सीध में होता है। इस दिन पूरी पृथ्वी पर दिन रात बराबर होते है। खगोल विज्ञान अनुसार पृथ्वी का अपनी धुरी पर चक्कर काटने से ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसे Centrifugal Force कहा जाता है। इस दिन यदि शरीर को सीधा रखे, ध्यान मुद्रा में बैठे या खड़े रहे तो पृथ्वी से हमे यह ऊर्जा प्राप्त होने से शिवरात्रि का महत्व अपने स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण है। यही रात्रि जागरण का एक रहस्य भी है। रात्रि में सोना वर्जित होता है।
  • Mahashivratri में प्राप्त इस ऊर्जा के संचलन से चेतना और जागृति पैदा होती है। इन्ही चेतना और जागृति को समझाने के लिए भगवान Nilkanth को विषपान करना पड़ा।
  • Shivratri को व्रत करने से स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। भक्तो के भूखे रहने से पेट संबंधित रोगों से मुक्ति मिलती है, आंतों को Rest होने के साथ ही साफ होती है। फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि पर मौसम Change होता है, ऐसे समय में व्रत रखने से शरीर स्वस्थ्य रहता है। व्रत से रक्त शुद्ध होता है। उत्सर्जन तंत्र, पाचन तंत्र अशुद्धियों से छुटकारा प्राप्त करते है। श्वास संबंधित रोग, colestrul के Leval में कमी, स्मरण शक्ति तीव्र होती है। कई रोग नष्ट हो जाते है।
  • शिवरात्रि पूजा में शिव परिवार से काफी महत्व पूर्ण प्रेरणा मिलती है । नंदी है तो शेर भी है, सांप है तो चूहा और मोर भी है। आशय यह है कि एक दूसरे परम शत्रु भी परिवार में प्रेम से रहते है तो हम मानव जाति छोटे बड़े लालच के लिए प्रेमभाव से क्यों नहीं रह सकते है। शिवरात्रि महोत्सव मानव स्वभाव में बहुत बड़ा परिवर्तन लाता है।
  • आजकल हम मिलावटी और गलत तरीके से निर्मित पदार्थों का सेवन करना Social Status समझा जाता है जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। शिवरात्रि को अर्पण करने वाले पदार्थ में दूध, दही, घी, शहद, बिल्व पत्र, फल सभी सात्विक होकर स्वास्थ्य वर्धक है। भगवान शिव ऐसे पदार्थों के सेवन करने के प्रोत्साहन हेतु प्रेरित करते है। इनका सेवन कर बीमारियों को दूर करते है। स्वस्थ शरीर के साथ स्वस्थ, चुस्त, ज्ञानवान, ऊर्जावान मस्तिष्क प्राप्त कर सकते है। विवेकपूर्ण, समझदारी के कार्यों को प्रोत्साहन मिलता है। अतः शिव के सेवन वाले पदार्थों से हम अपने जीवन में मस्तिष्क एवम स्वास्थ्य वर्धक परिवर्तन लाते है।

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