शिवरात्रि 2024 : शुभ मुहूर्त पर शिवलिंग पुजा के साथ 11 महाशिवरात्रि मंत्र का जाप करें

महाशिवरात्रि मंत्र:- भगवान शिव की अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाली शिवरात्रि का व्रत पूजन हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि से पूर्व किया जाता है। इस पूजा को करने से मन की भावनाओं में Enter किए दुर्विचार, कपट, दुष्टता को समाप्त करती है। इस तरह साल में बारह शिवरात्रि आती है। आपको महाशिवरात्रि मंत्र के बारे में जानकारी दें रहे है।

Mahashivratri Mantra

शिवरात्रि भगवान शिव के विवाहोत्सव, शिवलिंग में स्थापना उत्सव, ज्योतिर्लिंग प्रकटोत्सव, भगवान शिव द्वारा विष पान के अवसर पर पूजा, उपासना, जलाभिषेक, मंत्र जप, कथा, भजन आदि से भगवान शिव को आनंदित कर प्रसन्न करते है। इस प्रकार भक्तो को कभी भी संकटों, परेशानियों से सामना नहीं करना पड़ता है। हमेशा सुख शांति का स्थापत्य रहता है। वर्ष भर की Mahashivratri Mantra की दिनांक वार सहित जानकारी प्रस्तुत है –

महाशिवरात्रि मंत्र शुभ मुहूर्त | Mahashivratri Shubh Muhurt

हम शादी Anniversary, Birthday मनाने में बहुत सारे आयोजन, नाश्ता, भोजन एवम नाच गान करते है, खुशियां मना कर आनंद का लुफ्त उठाते है। अपनी खुशियों को प्रदान करने वाले परम पिता देवो के देव महादेव के माता पार्वती के साथ दांपत्य जीवन में प्रवेश करने, शिवलिंग का स्वरूप धारण करना, ज्योतिर्लिंग स्थापित होना, पूरे ब्रह्मांड को नष्ट होने – देवताओं का Tension मिटा कर विष पान करने पर आयोजित महाशिवरात्रि को हम पूरे भक्ति भाव में डूबकर शिव उपासना का आनद लेने से क्यों चुके।

शिव उपासना के लिए 8 मार्च 2024 शुक्रवार को आयोजित महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त से अवगत कराएंगे। इन शुभ मुहूर्त में की जाने वाली उपासना से भक्तो को किसी प्रकार के संकट, परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। दाम्पत्य जीवन में खुशियां व्याप्त रहती है। संतान मनचाही प्राप्त होती है और जीवनसाथी भी चाह अनुसार प्राप्त होता है। 8 मार्च 2024 शुक्रवार को आयोजित Mahashivratri Shubh Muhurt बता रहे है, जिसमे पूर्ण विधि नियमानुसार शिव उपासना कर अपना जीवन सफल बनावे।

8 मार्च 2024 को रात्रि 9.57 से महाशिवरात्रि प्रारंभ होकर 9 मार्च 2024 सायंकाल 6.17 को समापन
प्रथम प्रहर पूजासायं 6.27 से 9.29 तक
द्वितीय प्रहर पूजारात्रि 9.29 से 12.31 तक
निशिता मुहूर्तरात्रि 12.06 से 12.55 तक
तृतीय प्रहर पूजारात्रि 12.31 से 3.33 तक
चतुर्थ प्रहर पूजाब्रह्मवेला 3.33 से प्रातः 6.35 तक

शिवरात्रि पूजा विधि | Shivratri Puja Vidhi

भोलेनाथ, आशुतोष, शिव शंकर, महाकाल, उमापति , निराकार, ॐकार आदि अनेक नामों से पहचाने वाले शिव सहजता में प्रसन्न होने वाले देवो के देव है। भगवान शिव की पूजा ने ही रावण को विद्वान, महापराक्रमी, बलशाली, अमरता आदि वरदान प्रदान कराए थे, किंतु शिव द्वारा दिए वरदान का दुरुपयोग, अहंकार आदि करने से भगवान शिव क्रोधित हो गए और रावण का अंत किया। इसलिए शिवरात्रि पूजा विधि अनुसार करने के बाद भी भगवान शिव द्वारा की गई कृपा का Misuse करने पर अपना सर्वनाश होना निश्चित हो जाता है।

भगवान शिव से जिस निर्मल, पवित्र भाव से आशीर्वाद, कृपा प्राप्त करते है वही भाव स्वयं एवम जन कल्याण के लिए होना आवश्यक है। विधि विधान से शिवरात्रि पूजा होनी चाहिए। बिना विधि से की गई पूजा खंडित कहलाती है जो शिव के क्रोध का कारण बनती है। हम आपको Shivratri Puja Vidhi का Detail में अध्ययन कराते है जिससे आपकी पूजा सफल होकर मनोकामना पूर्ण हो। शिव की पूजा के समय और शिवरात्रि के पूरे दिन रात ।। ॐ नमः शिवाय ।। मंत्र का जाप मन में Regular चलता रहना चाहिए। शिवरात्रि पूजा के दिन पूरा दिन व्रत रखना है। वांछित कारणों से दिन में फलाहार कर सकते है। शिवरात्रि को रात्रि की चारो पूजा का विधान है।

  • शिवरात्रि को ब्रहमवेला में नींद त्यागकर तन मन से पवित्र हो जावे। स्वच्छ वस्त्र धारण कर दीप प्रज्वलन कर भगवान शिव का ध्यान करे और व्रत पूजा का संकल्प लेवे।
  • शिव पूजा करने से पहले मंदिर में स्थित सूर्य भगवान गणपति जी, नंदी, कार्तिक स्वामी और माता पार्वती की पूजा उसी प्रकार करे जैसे भगवान शिव की पूजा हम बताएंगे। शिव जी की पूजा में कुमकुम का उपयोग नहीं करना है । बाकी सभी को कुमकुम का तिलक या बिंदी लगा सकते है। माता पार्वती की पूजा में मेहंदी, कर्णफूल, सुहाग सामग्री अर्पण करना चाहिए। भोले बाबा का हृदय कितना विशाल है जो पहले अपने परिवार जनों की पूजा करवाते है। 
  • अब भगवान भोलेनाथ की पूजा प्रारंभ करना है। ।। ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये।। मंत्र से पूजा का संकल्प करे। भगवान शिव का जलाभिषेक बड़े निर्मल भाव से करना है। अब पंचामृत ( दूध, दही, मिश्री, घृत,शहद) से अच्छी तरह मालिश करे उस प्रकार नहलाए। पुनः जलाभिषेक करे। फिर लच्छा, अक्षत, अर्पण कर चंदन केसर का त्रिपुंड बनावे। जनेऊ धारण करा बिल्व पत्र, आक के पुष्प, धतूरा, फल अर्पित करते है। पान के पत्ते पर सुपारी, सिक्का, लौंग, इलायची, मिश्री आदि का भोग जलधारी पर चढ़ाना है।
  • भगवान शिव को ।। नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया।विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्।। व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च। संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु।। की प्रार्थना कर आरती करे। कपूर आरती भी करना है। इसके बाद शिव की परिक्रमा वो भी आधी ही करनी है।
  • शिवरात्रि को चारो प्रहर इस पूजा को दोहराना है।

महाशिवरात्रि मंत्र | Mahashivratri Mantra

भगवान शिव श्रद्धा एवम पवित्र भाव के वशीभूत होकर अपने भक्तो पर कृपा करके उन्हे सुख शांति प्रदान करते है। उनके हर संकट को टालते है। भगवान शंकर का स्मरण करे, जलाभिषेक करे, चाहे मंत्र का जाप करे हमेशा अपने भक्तो के सर पर अपना हाथ रखते है। भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न करने का उपाय मंत्र जाप है। आपकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो इसके लिए आप भी महाशिवरात्रि मंत्र का जाप करे। इन मंत्रो का विधिवत जप भगवान शिव के समीप पहुंचाते है, उनका सामिप्य उस भक्त के लिए वरदान होता है।

भगवान महाकाल का महामृत्युंजय मंत्र भक्तो को अकाल मृत्यु से बचाता है। भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र जीवन में इस तरह आवश्यक एवम उपयोगी है, जैसे शरीर के लिए पानी । जीवन की सुख शांति, संकटों से दूर रहने, मनवांछित फल प्राप्ति, दांपत्य जीवन में खुशहाली, मनचाही संतान एवम मनचाहे जीवन साथी के लिए हम आपको Mahashivratri Mantra बता रहे है। भगवान शिव मनोकामना पूरी करेंगे।

  • शिवरात्रि को ।।ॐ इशानाय नमः।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।। मंत्र जाप भगवान शिव के समीप ले जाते है।
  • शिवरात्रि को 108 मंत्र जप से अकाल मृत्यु एवम असाध्य बीमारियों से बचाता है यह महामृत्युंजय मंत्र ।।ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
  • ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं। रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।। पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं। विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।। यह भगवान शिव का ध्यान मंत्र है। शिवरात्रि को इस मंत्र जप से भक्तो का ध्यान केंद्रित यानी एकाग्रता बढ़ाकर कार्य सफल करवाता है।
  • भोलेनाथ का ।।ऊँ नम: शिवाय।। मूल मंत्र होकर बहुत ही प्रभावशाली है। इस पंचाक्षरी मंत्र का शिवरात्रि में जाप करने वाले पर भगवान भोले नाथ की प्रिय बनी रहती है।
  • भोलेनाथ का रूद्र गायत्री मंत्र ।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ नाम से शिवरात्रि को किया जाने वाला जप भक्तो के बीमारियों को दूर करता है।
  • भक्तो को अपने क्रोध पर काबू करने के लिए शिवरात्रि को ।। देवदेव महादेव नीलकंठ नमोस्तु ते। कुर्तमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।। तव प्रभावाद्धेवेश निर्विघ्नेन भवेदिति। कामाद्या: शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि।। मंत्र जप करने से क्रोध को वश में किया जा सकता है।
  • शिवरात्रि पर ।। ॐ साधो जातये नम:।। ॐ वाम देवाय नम:।। मंत्र जप के प्रभाव से बुद्धि तीव्र होती है और आध्यात्मिकता के भाव जागृत होते है।
  • ।। ॐ अघोराय नम:।। ॐ तत्पुरूषाय नम:।। शिवरात्रि को मंत्र जप कर भोलेनाथ का सानिध्य प्राप्त कर सकते है।
  • ग्रह दोष, गृह कलेश, भय, कर्ज, और गृह दोष से मुक्ति पानी हो तो ।। ॐ ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।। शिवरात्रि के दिन यह मंत्र जप बहुत ही लाभदायक है।
  • भगवान शिव के भाल पर सुशोभित चंद्रमा को समर्पित  ।। ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’, चंद्र मूल मंत्र ‘ॐ चं चंद्रमसे नम: ।। मंत्र का शिवरात्रि पर जाप भगवान शिव और चंद्रमा को प्रसन्न कर अपने चंद्रमा (ग्रह) को मजबूत करता है।
  • शिवरात्रि पर किए जाने वाले गूढ़ मंत्र ।। ॐ जूं स:।। को रात्रि में 108 बार जपने से शत्रुओ पर विजयी बनाता है। यह मंत्र रात्रि में जप करने पर ही फलदाई होता है।

ये भी पढ़े :-

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?

Leave a Comment