जानिए महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इसके 3 प्रमुख कारण

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है:- हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्शी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजा की जाती है, लेकिन फाल्गुन माह की चतुर्शी तिथि को महाशिवरात्रि मनायी जाती है। भगवान शिव की पूजा करने और विशेष कृपा पाने के लिए सावन मास, प्रदोष व्रत, सोमवार, मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के त्योहारों का विशेष महत्व है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को Mahashiv Ratri मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजा की जाती है, लेकिन फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर देशभर के सभी ज्योर्तिलिंगों और शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। जहां पर विधि विधान से शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है।

Mahashivratri Kyo Manai Jati hai

महाशिवरात्रि वह महान रात्रि है जिसका शिव तत्व से गहरा संबंध है। यह शिव महोत्सव का दिव्य अवतरण का एक शुभ त्यौहार है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतार की रात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। वह हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, तृष्णा आदि विकारों से मुक्त कर परम सुख, शांति एवं समृद्धि प्रदान करता है।

टॉपिकमहाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2024
साल2024
महाशिवरात्रि 20248 मार्च 
दिनशुक्रवार 
तिथिमाघ (फाल्गुन) महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 
किसकी पूजा की जाती हैमहादेव
कहा मनाया जाता हैभारत में
किसका त्योहार हैहिंदू
भगवान शिव के वाहननंदी
भगवान शिव से जुड़ी पुराणशिवपुराण

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है | Mahashivratri Kyo Manaya Jati Hai

8 मार्च को महोत्सव से मनाली मनाई जाएगी। भारत में मनाया जाता है मेरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व। कई वेदों और पुराणों में महाभारत के दिन को बहुत पवित्र माना गया है। आज छोटे बच्चे बहुत ही भाग्यशाली और सुन्दर होते हैं। इस दिन अगर कोई भक्त सात्विक मन से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है तो उसकी मनःस्थिति पूरी हो जाती है। फाल्गुन चतुर्दशी की तिथि पर भगवान शिव ने बैरागी को त्याग दिया और माता पार्वती से विवाह कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया। इसी कारण से भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के बंधन में हर साल फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

विभिन्न ग्रंथों में महाशिवरात्रि की अलग-अलग मान्यताएं मानी गई हैं। कहा जाता है कि प्रारंभ में भगवान शिव का केवल निराकार रूप था। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मध्यरात्रि में भगवान शिव निराकार से साकार रूप में आये थे। कई मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव अपने विशाल अग्निलिंग रूप में प्रकट हुए थे। कुछ हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्व वाले लिंगरूप में प्रकट हुए थे।

कई मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव अपने विशाल अग्निलिंग रूप में प्रकट हुए थे। कुछ हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान तेज वाले लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।

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महाशिवरात्रि क्या है | Mahashivratri Kya Hai

महाशिवरात्रि महादेव शिव से जुड़ा एक हिंदू त्योहार है। शिवरात्रि का अर्थ ‘शिव की रात’ भी है। शिवरात्रि को लेकर ब्रह्मांड में अलग-अलग तरह के सिद्धांत हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और पूरे देश में कई उत्सव मनाए जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मंदिरों में बहुत सारे भक्त आते हैं और कुछ मंदिरों में तो इस दिन भक्तों की संख्या हजारों-लाखों में होती है।

शिव की पूजा के लिए सप्ताह में सभी दिन भगवान अच्छे माने जाते हैं, लेकिन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। शायद आपको याद न हो लेकिन हर महीने एक शिवरात्रि आती है। भारतीय माह के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि माना जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की महान पूजा की जाती है।

महाशिवरात्रि मनाने के 3 सबसे बड़े कारण

  • शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव पहली बार शिवलिंग के रूप में महाशिवरात्रि के दिन ही प्रकट हुए थे। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ था। वह दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इसी वजह से हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर शिव और शक्ति का महान मिलन हुआ था। भगवान शिव और शक्ति एक दूसरे के साथ परिणय सूत्र में बंधे। वैरागी शिव ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किया था। इसी वजह से महाशिवरात्रि के मौके पर कई जगहों पर शिव बारात निकाली जाती है. इस दिन शिव भक्त शिव-पार्वती के विवाह का भी आयोजन करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव और माता पार्वती का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही देशभर में बारह ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। ये 12 ज्योतिर्लिंग हैं – सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के जश्न में भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

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