ऐसे लिखें महाशिवरात्रि पर निबंध व पुराणों के अनुसार शिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि पर निबंध:- भगवान शिव को प्रिय फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी की महा शिवरात्रि के दिन का विशेष महत्व है। वर्ष भर के सभी हिंदी माह की त्रयोदशी को शिवरात्रि का आयोजन होता है। शिवरात्रि में श्रावण माह की कृष्णा त्रयोदशी महत्वपूर्ण है। महाशिवरात्रि प्रत्येक फाल्गुन माह की त्रयोदशी को आयोजित होती है। यह भगवान शिव के लिए Special होती है। महाशिवरात्रि पर निबंध के द्वारा महा शिवरात्रि के बारे में बता रहे है। पूरे देश में भगवान शिव की महा शिवरात्रि बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन तन मन से की जाने वाले भक्ति कार्यों से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते है।

Mahashivaratri Essey in Hindi

महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा, जाप, आराधना, पाठ, अभिषेक, मंत्र एवम कथा आदि भक्ति कार्यों से इनको प्रसन्न करते है। महा शिवरात्रि के विशेष महत्व को हम  Mahashivaratri Essey in Hindi में प्रस्तुत कर रहे है। आशा है की महा शिवरात्रि पर निबंध से प्रेरित होकर शिव की कृपा प्राप्त करें। महा शिवरात्रि फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी को भगवान शिव का लिंग स्वरूप में स्थापित होने से प्राकट्य उत्सव के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। भक्तो द्वारा व्रत – उपवास के साथ भगवान शिव की विशेष पूजा आराधना की जाती है। इस दिन सभी शिवालयों को अच्छी तरह से decorat किए जाते है।

भक्तों की त्रयोदशी प्रातः से लेकर चतुर्दशी प्रातः तक दर्शन, पूजा, अभिषेक, पाठ पूजन, मन्त्र जाप, अभिषेक दीक्षा से भगवान शिव का आशीर्वाद रहता है। महा शिवरात्रि को भक्तजन तन मन से पवित्र दर्शन कराते हैं। पंचामृत से माता पार्वती और शिवलिंग को अच्छे प्रकार से स्नान कराया जाता है। फिर वस्त्र के रूप में लच्छा अर्पण किया जाता है। माता पार्वती को कुमकुम की बिंदी ईवं लिंग से चंदन से तिलक अक्षत अर्थात बिना पुष्प चावल पुष्प, बिल्वपत्र, आक पुष्प, फल, धतूरा, भंग तथा पंचमेवा बड़ी श्रद्धा से प्राप्त होती है। माता पार्वती को बिंदी के बाद पुष्प, फल, पंचमेवा, हाथ के टुकड़े के साथ लगाया जाता है।

शिवरात्रि का महत्व

भगवान शिव देवों के देव है। भगवान शिव की कृपा के लिए श्रद्धा पूर्वक स्मरण, पूजा, मंत्र, जाप, अभिषेक, कथा और एक लोट्ठा जल, चंदन से पूजा की जाती है। भोले बाबा को प्रसन्न करना बड़ा सरल होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवरात्रि का महत्व ज्यादा है। हर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को शिवरात्रि का आयोजन होता है। इन शिवरात्रि में श्रावण कृष्णा त्रयोदशी का विशेष महत्व है। फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी को महा शिवरात्रि आयोजित होती है। शिवरात्रि की रात चेतना, सुबल, सुदृढ़, सद्बुद्धि, भक्ति, दया, प्रेम आदि भावनाओं को प्राप्त करने को है। शिव को प्रिय Shivaratri ka Mahatv के बारे में आपको बताने का प्रयास कर रहे है।

सनातन धर्म एवं वेद पुराणों में शिवरात्रि के दिन व्रत करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने से जब तक इस जगत में रहेंगे तब तक भगवान शिव कल्याण करेंगे। व्रत से सभी दुखों, कष्टों का नाश होता है। स्वयं तथा परिवार सदैव धन धान्य, सुख सौभाग्य एवं मनोहारी जीवन में कभी कमी नहीं होती।

– शिवरात्रि से संबधित लेख पढे –
महाशिवरात्रि व्रत नियमशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है
महाशिवरात्रि पर 10 लाइनमासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करें

भगवान शिव के लिंग स्वरूप में प्राकट्य दिवस होने से भी शिवरात्रि पर भगवान आशुतोष की किसी भी प्रकार की पूजा आराधना का पूर्ण प्रतिफल शीघ्र मिलता है। शिवरात्रि को भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है। शिवरात्रि भगवान शिव माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में धूमधाम से विवाह का महोल बनाया जाता है। इससे हमारा दमप्त जीवन सुखमय बनता है। विवाह योग्य भी इस दिन व्रत पूजा कर अपना मनपसंद जोड़ की कामना करता है। इस दिन जाने वाले अनुष्ठान से शादी में आने वाली साड़ी बाधा समाप्त हो जाती है।

महाशिवरात्रि पर निबंध | Mahashivratri Par Nibandh

भगवान शिव बहुत ही अद्भुत, निराले एवम उदार है। हर माह की कृष्णा पक्ष की त्रयोदशी का भगवान शिव का महत्व ज्यादा है। मासिक शिवरात्रि पर निबंध में यह बताएंगे की बाबा विश्वनाथ से जिसने जो मांगा वह दिया है। पुराणों में बताया गया कि शिवरात्रि पर अनुष्ठान कर  भगवान शिव को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त किए किंतु उन वारादानो का दुरुपयोग किए जाने पर उनका सर्वनाश भी किया है। 

Shivratri Par Nibandh में  महा शिवरात्रि भगवान नीलकंठ के गले में विष को रोकने से से गले में नीला रंग हो गया और तीव्र जलन होने लगी। तब श्रावण माह में धनवंतरी ने जलन कम करने के लिए पंचानृत अभिषेक, बिल्वपत्र, चंदन आदि से लेप किया जाए तो जलन कम होगी। तब से हर शिवालय में श्रावण माह एवम विशेषकर शिवरात्रि को अनुष्ठान कर भगवान शिव की जलन कम की जाती है जिससे अपने जीवन में आने वाली हर जलन यानी परेशानी समाप्त हो।

प्रस्तावना 

भगवान शिव जो देवो के देव है। केवल श्रद्धा भक्ति से जल के अभिषेक से प्रसन्न होने वाले है। इनको शिवरात्रि प्रिय है। शिवरात्रि को शिव – शक्ति का एकाकार हुआ था। इस दिन शिवलिंग स्वरूप में स्थापित हुए। इसी दिन 64 ज्योतिर्लिंग का उद्भव हुआ था। समुद्र मंथन से निकले विष का पान कर सभी देवी देवताओं के साथ ब्रह्माण्ड को जहर से जलाने को बचाया। शिवरात्रि को भगवान शंकर और माता पार्वती को अनुष्ठान से प्रसन्न किया जाता है।

शिव रात्रि क्यों मनाया जाता है 

आज जब हम जन्म दिन, aniversary, या ऐसे वैसे दिवस को धूमधाम से celebrate करते है। अपनी हैसियत के अनुसार लोगो को मनपसंद चीजे gift के बदले देते है। कुछ लोग पूछते है कि शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है।  जब हम छोटे बड़े दिनों को उत्साह से मना सकते है तो फिर पूरे सृष्टि का पालनहार की प्रिय शिवरात्रि तो मनाना ही आवश्यक है। जैसे किसी उत्सव पर Gift देना आवश्यक होता है उसी प्रकार भगवान शिव का अनुष्ठान करना आवश्यक है। यदि हम श्रद्धा एवम पवित्रता से अनुष्ठान करते है तो भगवान शिव भी खुले मन से आशीर्वाद प्रदान करने में कोई कंजूसी नही करते है।

शिवरात्रि को अनुष्ठान करने से भगवान अपने स्वयं और परिवार को खुशहाली प्रदान करते है। दांपत्य सुख प्राप्त होता है। शादी विवाह में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है। जीवन में दया, प्रेम और भक्ति हमेशा बनी रहती है।आशा है की अब तो आपको विश्वास होगा कि Shivratri Par Nibandh .

भगवन शिव की आराधना 

भगवान शिव बहुत ही दयालु होने के कारण श्रद्धा से स्मरण करते ही अपने भक्तो पर कृपा करते हुए उनकी सभी मनोकामना पूरी करते है। भगवान शिव की आराधना बहुत ही सरल है। भोले बाबा अनजाने में किसी के द्वारा पूजा, अनुष्ठान होने पर भी उसकी झोली खुशियों से भर देते है।

भगवान शिव की आराधना के लिए पवित्रता का महत्व ज्यादा है। शिव जो स्वयं दिगंबर है, नंदी जिसकी सवारी है, गले में सांपो के गहने है। सिर पर गंगा समेटे हुए है। ऐसे भूतनाथ बाबा को भक्तो की आराधना से ज्यादा श्रद्धा की जरूरत होती है। जैसे एक पिता अपने पुत्रों से केवल सम्मान के अलावा कुछ नही चाहता है। हां श्रद्धा सम्मान के रूप में Bhagawan Shiv Ki Aaradhana करेंगे तो भक्त सदा खुशहाल रहेंगे।

  • मंदिर, घर अथवा एकांत स्थान पर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
  • तन मन साफ और पवित्र मन से आराधना की जाती है।
  • भगवान शिव की पूजा से पूर्व सूर्य भगवान को जल अर्पित किया जाता है।
  • मंदिर या पूजा घर को गंगाजल से साफ कर शुद्ध करना आवश्यक है। पूजा से पूर्व धूप शुद्ध घी का दीप प्रज्जवलित करना होता है। 
  • शिवलिंग पर कच्चा दूध, दही, घृत, शक्कर, शहद ( पंचामृत ) से स्नान, जल से तथा गंगाजल से अभिषेक करना है। उसके बाद बिल्वपत्र, आक फूल, धतूरा, भंग, एवम फल मिठाई अर्पण करे।
  • शिव चालीसा, शिव मंत्र या ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करे। प्रसाद का भोग लगाकर आरती करना पूरी आराधना होती है।

महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है

शिवरात्रि व्रत का महत्व 

किसी भी भगवान के नाम का व्रत करने का मतलब यह नहीं होता कि भूखे रहने से भगवान मिलते है। शिवरात्रि व्रत का महत्व बताने से पहले हम बता रहे है की व्रत करने से शरीर की समस्त इंद्रियां ईंधन के बिना शिथिल होने लगती है लेकिन मन या आत्मा उस Time एकाग्र हो जाती है जिससे जिस भगवान के नाम से व्रत किया जा रहा है उसका स्मरण आराधना में ध्यान लगा रहता है। व्रत करने के पीछे दूसरा कारण यह भी है की पेट खाली रहने पर गैस संबंधित Problem नहीं होने से शरीर की पवित्रता बनी रहती है। व्रत करने का तीसरा कारण वैज्ञानिक एवम स्वास्थ्य संबधी है।

सप्ताह, पंद्रह दिन अथवा महीने में एक दिन व्रत करने यानी भूखे रहने से पेट की आंतों को Rest मिलता है एवम पेट पूरी तरह से Clean हो जाता है। आइए अब हम Shivaratri Vrat ka Mahatv से अवगत कराते है। शिव पुराण एवम अन्य ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि को भगवान शंकर शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए। भगवान ब्रह्मा – विष्णु ने सर्व प्रथम पूजा की। माता सरस्वती, सीता, रति एवम अन्य देवियों ने आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिवरात्रि व्रत रखना शुरू किया। माता पार्वती ने भी सकुशल दांपत्य के लिए व्रत रखा था।

शिवरात्रि का व्रत एवं अनुष्ठान करने वाले भक्तों को भगवान शिव ने कभी निराश नहीं किया। इसका मतलब यह है कि भगवान शिव की कृपा सदैव उन पर बनी रहती है। इस व्रत के दिन कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। इस दिन अपनी इंद्रियों पर मठ ब्रह्म नियंत्रण चर्या का पालन करना, किसी के भी प्रति गलत विचार या भावना का त्याग करना, क्रोध और ग्लौच से दूर रहना। नॉनवेज और शराब के सेवन से परहेज करें। अन्यथा जल्दी-जल्दी की जाने वाली आकर्षक चीजें उसकी शुरुआती तीसरी आंख में भी देरी नहीं करती हैं।

उपसंहार 

भगवान शिव की भक्ति, अनुष्ठान या आराधना कभी भी सच्चे मन से करने पर दयालु शंकर हमेशा खुश रखने का आशीर्वाद प्रदान करते है। शिवरात्रि एवम महाशिवरात्रि के दिन इसका परिणाम जल्दी तथा Posetive आता है। इस दुनिया को अलविदा करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव को याद करने वाला जब भी दुखी, परेशानियों में फसता है तो भगवान शिव तत्काल उस पर कृपा करते है।

ये भी पढ़े

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

महाशिवरात्रि व्रत नियम

Leave a Comment