महाकाल का चमत्कार: साल में 1 बार ही होता है यह चमत्कार

महाकाल का चमत्कार:- महाकाल  का नाम ही ऐसा है जिसमे अपने आप चमत्कार नजर आता है। कालो के काल एवम भूत प्रेत के राजा के रूप में जब स्मरण करते है तो चमत्कार होना तो स्वाभाविक है। आज आपको महाकाल का चमत्कार (Mahakal Ka Chamatkar) से रूबरू कराते है। महाकाल उज्जैन नगरी का राजा है, ऐसे में इनके अलावा दूसरे किसी राजा या शासक को उज्जैन में रात्रि विश्राम के लिए रुकने का अधिकार नहीं है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार राजा विक्रमादित्य के बाद जो राजा या शासक रात्रि में रुका तो वह या तो वह मारा गया या उस पद को खोना पड़ा है। 

     अब आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा की वर्तमान मध्य प्रदेश का राजा यानी Chief Minister वहा रुकता है तो स्वयं मुख्यमंत्री ने आम सभा में कहा की “मैं राजा नहीं हूं मैं तो बाबा महाकाल का बेटा हूं और बाबा महाकाल के मुख्य सेवक के रूप में ही काम कर रहा हूं। उज्जैन में मेरी उपस्थिति सीएम के रूप में नहीं बल्कि बाबा महाकाल के सेवक के रूप में है।उन्होंने आमसभा के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया था कि मैं बाबा महाकाल का सेवक बनकर यही रात्रि विश्राम करूंगा ।”

     भगवान महाकाल के दरबार में एक चांदी का दरवाजा ऐसा है जिसमे महाकाल से प्रार्थना एवम Permission लेकर ही प्रवेश किया जा सकता है। इसमें केवल पंडित एवम पुजारी ही प्रवेश कर सकते है। इस दरवाजे का चमत्कार रहस्यमय है।

Mahakal Ka Chamatkar

महाकाल मंदिर का निर्माण किसने करवाया

   भगवान महाकाल मंदिर का निर्माण किसने करवाया इस बारे में पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अनेक मत है। महाकाल मंदिर का निर्माण द्वापर युग में 800 से 1000 वर्ष प्राचीन माना जाता है। एक मत यह भी है कि उज्जैन में करीब 150 वर्ष पूर्व रानोजी सिंधिया के मुनीम रामचंद्र बाबा शेण बी ने निर्मित करवाया था।

महाकाल का इतिहास

    भगवान महाकाल उज्जैन में स्थित है। महाकाल का इतिहास के बारे में पौराणिक मत अनुसार उज्जैन में एक दूषण नाम का राक्षक बहुत परेशान करता था तो भगवान शिव को काल बन कर आना पड़ा और इस राक्षक का संहार किया। तब उज्जैनवासियों ने शिव ( महाकाल ) से प्रार्थना की कि आप यही निवास करे, तो महाकाल शिवलिंग स्वरूप में विराजमान हुए तब से इनका नाम महाकाल हुआ।

महाकाल का चमत्कार

  महाकाल नाम के अनुसार भगवान शिव जी इतने विकराल नही है। वो एक पिता की तरह दुश्मनों का सर्वनाश कर सकते है तो पुत्र यानी भक्तो की सारी मनोकामना भी पूरी करते है। यह महाकाल का चमत्कार ही है कि दुष्टों के लिए महाकाल का विकराल स्वरूप है तो भक्तो के लिए पंचमुखारविंद शिव स्वरूप में विराजमान है। महाकाल के पंचमुखारविंद छबीना, होलकर, मनमहेश, शिव तांडव एवम उमामहेश स्वरूप में सभी भक्तो की मनोकामना पूर्ण करते है। 

     महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही धन, धान्य, निरोगी शरीर, लंबी आयु, संतान आदि सब कुछ अपने आप ही प्राप्त हो जाता है। जो अपने भक्तो को नुकसान पहुंचाने वाले के लिए विकराल है तो भक्तो द्वारा केवल दर्शन मात्र से ही धन -धान्य से परिपूर्ण करते, शरीर को हमेशा निरोगी रखते है, दीर्घायु का आशीर्वाद देते एवम निः संतान की जोली संतान से भरते है।

महाकाल का रहस्य

  उज्जैन महाकाल का रहस्य अनंत है। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर का तो स्मरण होता ही है पर इसके साथ ही काल भैरव का भी इतने महत्व के साथ स्मरण होता है। महाकाल में भस्म आरती होती है। ऐसा माना जाता है कि यहा चिता की ताजा राख से पूजा की जाती है क्योंकि ये कालो के काल है। जहा तक जानकारी मिलती है वो सत्य नही मानी गई है। हां, शिव पुराण के अनुसार कपिला नस्ल की गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बैर के पेड़ की लकड़ियां, अमलताश और बरगद की जड़ को जलाकर जो राख बनाई जाती है उस राख (भस्म) से भगवान महाकाल की भस्म आरती हमेशा प्रातः की जाती है।

     उज्जैन काल भैरो का दुनिया का ऐसा मंदिर है जहा भगवान शिव रूप काल भैरो को शराब पिलाई जाती है। पूरी दुनिया में भगवान शिव मंदिर के आसपास शराब की दुकानें नही लगाने दी जाती है।  वही दूसरी तरफ काल भैरव मंदिर के आसपास बहुत सारी दुकानें लगवाई गई है। प्रसाद बेचने वाले भी शराब बेचने के लिए रखते है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से महाकालेश्वर स्वयंभू यानी अपने आप प्रकट शिव है। आज तक ये रहस्य बना हुआ है कि ये शराब कितने वर्षों से पिलाई जय रही है तथा वो शराब जाति कहा है।

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