शिव तांडव स्त्रोत हिंदी में कैसे पढ़े व 5 चमत्कार क्या है

शिव तांडव स्त्रोत हिंदी में: अदभुत चमत्कारी है शिव तांडव स्तोत्र मान्यता है की  शिवभक्त रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था जब पुरे पर्वत को लंका ले चलने के लिए तयार हुआ उस समय वह अपनी पूर्ण शक्ति के घमंड में लीन में था I

Shiv Tandav Stotram

भगवान महादेव को रावण का यह घमंड बिलकुल भी पसंद नही आया तो भगवान शिव ने अपने पैर के अगुठे से धरे से कैलाश पर्वत को धरे से दबाया तो कैलाश पर्वत जहा पर था वही पर टिक गया जिस से शिव भगत रावण का हाथ कैलाश के नीचे दब गया और वह दर्दभरी पुकार कर उठा “शंकर शकंर” हे भोलेनाथ क्षमा करिए, क्षमा करिये मेरे परभू और शिव तांडव स्तोत्र की स्तुति करने लगा I

शिव तांडव स्त्रोत हिंदी में | Shiv Tandav Stotram Hindi Me

लंकापति रावण कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले भगवान शिव का महान भक्त था, वह दक्षिण से उत्तर तक बहुत लंबी दूरी तय कर के कैलाश पर्वत आया I आप बस सोचये की, इतनी लंबी दूरी तय करके  के आना – शिव की प्रशंसा में शिव तांडव स्तोत्र की स्तुति गाना बहुत लाभदायक माना गया है I 

उसके संगीत को सुन कर शिव बहुत ही आनंदित व मोहित हो गये। रावण गाता जा रहा था, और गाने के साथ–साथ उसने दक्षिण की ओर से कैलाश पर चढ़ना शुरू कर दिया। जब रावण लगभग ऊपर तक आ गया, और शिव उसके संगीत में मंत्रमुग्ध थे, तो पार्वती ने देखा कि एक व्यक्ति ऊपर आ रहा था।

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शिव तांडव स्तोत्र में कितने श्लोक हैं | Shiv Tandav Ke Kitne Slok Hai

सनातन धर्म में भगवान शिव के अनेक भक्त हैं. अनेक भक्तों में से रावण भी भगवान शिव का बहुत बड़ा भगत था, जिन्होंने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार अहंकार में आकर रावण ने कैलाश पर्वत उठाने की कोशिश की, परंतु भगवान शिव ने उसे अपने अंगूठे से दबा दिया, जिसमें रावण के हाथ कैलाश पर्वत के नीचे दब गए. रावण ने उसी समय शिव के लिए शिव तांडव स्तोत्र (Shiva Tandav Stotram) की रचना की, शिव तांडव स्तोत्रम में  17 श्लोक हैं. जिसमे से 14 श्लोक ही गये जाते है  इस शिव तांडव स्तोत्र को भगवान शिव के समक्ष गाया, जिससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो गए I

शिव तांडव स्तोत्र के चमत्कार | Shiv Tandav Stotram Ke chamatkaar

रावण ने अपने आराध्य शिव की स्तुति में Shiv Tandav Stotram की रचना की थी I शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण की जा सकती हे  जब रावण ने शिव तांडव की रचना की थी I तो रावण को ज्ञान ,विज्ञान में सफलता प्राप्त हो गई थी Shiv Tandav का पाठ करने से अनेक प्रकार के चमत्कार होते हे जो इस लेख में विस्तार रूप से बताया गया है I

  • हिन्दू गर्न्थो के अनुसार यदि कोई व्यक्ति भगवान शिव की स्तुति Shiv Tandav Stotram द्वारा करता है, तो उससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और जो  कोई नियमित रूप से रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करे तो उसे कभी भी धन, सम्पदा की कोई भी कमी नहीं होगी।
  • शिव तांडव के पाठ से व्यक्ति तेजस्वी होता है और आत्मबल मजबूत होता है I
  • शिव तांडव के पाठ से हर मनोकामना पूर्ण होती है I
  • शिव तांडव का प्रतिदिन पाठ करने से ‘वाणी को सिद्ध’ किया जा सकता है I 
  • यदि आप की जन्मकुंडली में शनि देव अशुभ स्थान पर विराजमान है तो आप शिव तांडव स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करके आप बहुत शनि देव के दंड से छुटकारा पा सकते है I 

शिव तांडव स्तोत्र कैसे याद करें | Shiv tandav ko Yaad Kase Kare

इस लेख में हम शिव तांडव स्तोत्र कैसे याद करें, इसके बारे में जानेंगे। अगर आप भी इसे याद करना चाहते हैं तो इस लेख में बताये गए 05 टिप्स बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं।

  1. सबसे पहले श्लोक को अलग अलग  भागों में बाट ले  और एक समय में एक श्लोक को याद करें।
  2. श्लोक को कई बार दोहराएं, ताकि आपको अच्छी तरह से याद हो सके।
  3. एक बार जब आप एक श्लोक याद कर लेते हैं, तो अगले श्लोक पर जाएं और यह  प्रक्रिया को बार बार  दोहराएं।
  4. श्लोक का नियमित रूप से पाठ करने का अभ्यास करें, हर दिन इसका पाठ करें।
  5. अलग-अलग गति से श्लोक का पाठ करने का अभ्यास करें, इससे आपको इसे लगातार पाठ करने में मदद मिलेगी।

शिव तांडव स्त्रोत कब पढ़ना चाहिए | Shiv Tandav Kab Padna Chaiye

  शिव-स्तोत्रम वह अनुष्ठान है जिसमें भक्त शिवजी की महिमा को गाते हुए उनकी आराधना करते हैं। ये स्तोत्र शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण साधक  होते हैं जिनसे वे अपनी आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं।

  • शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सुबह या शाम को करना चाहिए।
  • इसके लिए सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें, फिर भगवान भोलेनाथ को प्रणाम करें और धूप, दीप से उनकी पूजा करें।
  • ऐसा माना जाता है कि रावण ने दर्द के कारण इस श्लोक को बहुत ऊंची आवाज में गया था, इसलिए हम सब को शिव तांडव स्तोत्र को गाना चाहिए और पाठ करना चाहिए।
  • पाठ पूरा हो जाने के बाद महादेव भोलेनाथ का ध्यान करें।

 इन श्लोक के माध्यम से भक्त शिव की प्रशंसा करते हैं और उनकी आराधना करते हुए उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति भी मांगते हैं।

Shiv Tandav Stotram में विभिन्न भावों को व्यक्त करते हुए Shivji की गुणगान किया जाता है। इन स्तोत्रों में भक्त शिवजी की भक्ति, करुणा, शक्ति और उनकी महिमा को व्यक्त करते हुए उनकी सर्वशक्तिमान विशेषताओं की गान करते हैं। शिव-तांडव  के गुणगान  से भक्त शिवजी के साथ एक आंतरिक जुड़ाव महसूस करते हैं और उनकी आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं।

जटाटवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।

डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।

धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।

कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।

मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदमद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।

भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।

धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध लीरुचि प्रबंधकंधरम्‌।

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।

स्मरांतकं पुरातकं भवांतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।

धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।

तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः सम प्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ॥१२॥

कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुंज-कोटरे वसन् विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मंजलिं वहन्।

विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः शिवेति मंत्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे।

तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मिं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥

॥ इति श्रीरावणकृतं शिव ताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

शिव तांडव स्तोत्र की PDF

हम आप सभी कोशिव ताण्डव स्तोत्र का पीडीऍफ़ यहा पर उपलब्ध करा रहे है जिन भी भक्तो को पीडीऍफ़ डाउनलोड करना है या पढ़ना है तो इस लिंक पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकता है।

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